Pipal Tole Ke Launde-Paper Back

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9788183619622
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वह एक छोटे-से गाँव का छोटा-सा बैंक है। बस सौ-डेढ़ सौ खाते ही खुले होंगे वहाँ। लेकिन हर महीने की तीसरी तारीख़ को पास ही के एक हाइवे के तीन बड़े कारख़ानों से बहुत सारा पैसा आके यहाँ जमा होता है। सिर्फ़ तीन घंटों के लिए। और इन तीन घंटों में जो होता है उसके पीछे कुछ मील दूर बसे एक क़स्बे की बीस साल लम्बी दास्तान है। वह दास्तान जिसमें बलखाती, उबाल-भरी प्रेम कहानियाँ हैं। वह दास्तान जिसमें बदलती दुनिया के साथ भागते-हाँफते क़स्बाई सपनों का बेमानीपन है। वह दास्तान जहाँ ज़िन्दगी के ख़ालीपन को भरने के लिए रास्ते भी ऐसे चुने जाते हैं जो कहीं नहीं ले जाते। वह दास्तान पीपलटोले के उन तीन लड़कों की है जिनकी आँखों पे ज़िन्दगी ने ऐसा चश्मा चढ़ा दिया है कि उन्हें अपने चारों तरफ़ सब कुछ बस ग़लत होता दिखाई दे रहा है। आगे वही है जो लूट रहा है, तो हम भी क्यों ना लूटें? बैंक डकैती की एक घटना को लेकर लिखी गई यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है। उन अजीब-सी प्रेम कहानियों में भी कल्पना कम है, यथार्थ ज़्यादा जो इसके साथ आप पढ़ेंगे। थोड़े सड़कछाप अन्दाज़ में रुहेलखंडी धज के साथ।
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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 118p
Price ₹125.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 14 X 2
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Ishan Trivedi

Author: Ishan Trivedi

ईशान त्रिवेदी

उत्तर प्रदेश के एक क़स्बे ठाकुरद्वारा में 2 अक्टूबर, 1962 की पैदाइश। वहीं के चुंगी स्कूलों में पढ़ाई की। भू-विज्ञान नैनीताल से पढ़ा और बिसरा दिया। ‘राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय’, दिल्ली से निर्देशन सीखा जिसका खामियाज़ा पिछले 25 सालों से दर्शक उठा रहे हैं। ज़िन्दगी के स्कूल ने जो सिखाया वो ही है यह उपन्यास।

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