Panch Aangnon Wala Ghar

Fiction : Novel
Author: Govind Mishra
As low as ₹156.00 Regular Price ₹195.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Panch Aangnon Wala Ghar
- +

क़रीब पचास वर्षों में फैली ‘पाँच आँगनों वाला घर’ के सरकने की कहानी दरअसल तीन पीढ़ियों की कहानी है—एक वह जिसने 1942 के आदर्शों की साफ़ हवा अपने फेफड़ों में भरी, दूसरी वह जिसने उन आदर्शों को धीरे-धीरे अपनी हथेली से झरते देखा और तीसरी वह जो उन आदर्शों को सिर्फ़ पाठ्य-पुस्तकों में पढ़ सकी। परिवार कैसे उखड़कर सिमटता हुआ क़रीब-क़रीब नदारद होता जा रहा है—व्यक्ति को उसकी वैयक्तिकता के सहारे अकेला छोड़कर! गोविन्द मिश्र के इस सातवें उपन्यास को पढ़ना अकेले होते जा रहे आदमी की उसी पीड़ा से गुज़रना है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1995
Edition Year 2019, Ed. 5th
Pages 216p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Panch Aangnon Wala Ghar
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Govind Mishra

Author: Govind Mishra

गोविन्द मिश्र

गोविन्द मिश्र समकालीन कथा-साहित्य में एक ऐसी उपस्थिति हैं जिनकी वरीयताओं में लेखन सर्वोपरि है, जिनकी चिन्ताएँ समकालीन समाज से उठकर ‘पृथ्वी पर मनुष्य’ के रहने के सन्दर्भ तक जाती हैं और जिनका लेखन-फलक लाल पीली ज़मीन के खुरदरे यथार्थ, तुम्हारी रोशनी में की कोमलता और काव्यात्मकता, धीरसमीरे  की भारतीय परम्परा की खोज, हुज़ूर दरबार और पाँच आँगनोंवाला घर के इतिहास और अतीत के सन्दर्भ में आज के प्रश्नों की पड़ताल–इन्हें एक साथ समेटे हुए है।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—वह अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली ज़मीन, हुज़ूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीरसमीरे, पाँच आँगनोंवाला घर, फूल...इमारतें और बन्दर, कोहरे में क़ैद रंग, धूल पौधों पर, अरण्यतंत्र, शाम की ​​झिलमिल, ख़िलाफ़त (उपन्यास); पगला बाबा, आसमान...कितना नीला, हवाबाज़, मुझे बाहर निकालो, नये सिरे से आदि (कहानी-संग्रह); निर्झरिणी (सम्पूर्ण कहानियाँ दो खंडों में); धुंध-भरी सुर्ख़ी, दरख़्तों के पार...शाम, झूलती जड़ें, परतों के बीच (यात्रा-वृत्त); साहित्य का सन्दर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना, साहित्य, साहित्यकार और प्रेम, सान्निध्य-साहित्यकार (निबन्ध); ओ प्रकृति माँ! (कविता); मास्टर मनसुखराम, कवि के घर में चोर, आदमी का जानवर (बाल-साहित्य); रंगों की गंध (समग्र यात्रा-वृत्त दो खंडों में); चुनी हुई रचनाएँ (तीन खंडों में); गोविन्द मिश्र रचनावली : संपादक नन्दकिशोर आचार्य (बारह खंडों में)।

उन्हें प्राप्त कई पुरस्कारों/सम्मानों में पाँच आँगनोंवाला घर के लिए 1998 का ‘व्यास सम्मान’, 2008 में ‘साहित्य अकादेमी’, 2011 में ‘भारत-भारती सम्मान’, 2013 का ‘सरस्वती सम्मान’ विशेष उल्लेखनीय हैं।

सम्पर्क : एच.एक्स. 94, ई-7, अरेरा कॉलोनी,

भोपाल-462016

ई-मेल : govindmishra1939@gmail.com

Read More
Books by this Author

Back to Top