Samaya Aur Sarjana

Author: Govind Mishra
Edition: 2000, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Samaya Aur Sarjana

जो उपन्यास, कहानी, कविता में बहुत ही सुथरे-सँवरे रूप में आया है, वह सीधा-सादा कैसा था, कैसी थी उसकी शुरू की शक्ल—अगर यह जानना हो तो हमें उस साहित्यकार की दुनिया में पैठना होगा। इस दुनिया में पूर्ववर्ती साहित्यकार हैं जिनसे वह प्रभावित हुआ, कालजयी साहित्य के वे अविस्मरणीय पात्र हैं जो बतौर मित्र उसके साथ घूमते-फिरते हैं, वे शंकाएँ और सवाल हैं, जिनसे उसका टकराना आए दिन होता रहता है, वे इच्छाएँ, आकांक्षाएँ और प्रार्थनाएँ हैं जो आधा बाहर जाती हैं, आधा भीतर रहती हैं।

'समय और सर्जना' से गुज़रना गोविन्द मिश्र की उस रहस्यमयी दुनिया से गुज़रना है, जहाँ उपरिखित तथा कितनी ही दूसरी चीज़ें छायाओं-सी डोलती नज़र आती हैं...जहाँ विषयों और प्रश्नों का दोहराव भी इन छायाओं से बार-बार टकराने जैसा है। ये छोटे-छोटे आलेख जहाँ हमारे समय के बड़े-बड़े प्रश्नों से टकराते दिखते हैं, वहीं इनका व्यक्तिगत स्वर इन्हें ऐसी मिठास और रसवत्ता में लपेटे चलता है कि ये छोटे-छोटे निबन्ध नहीं, बड़ी-बड़ी कविताएँ लगते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2000, Ed. 1st
Pages 124p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1
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Govind Mishra

Author: Govind Mishra

गोविन्द मिश्र

गोविन्द मिश्र समकालीन कथा-साहित्य में एक ऐसी उपस्थिति हैं जिनकी वरीयताओं में लेखन सर्वोपरि है, जिनकी चिन्ताएँ समकालीन समाज से उठकर ‘पृथ्वी पर मनुष्य’ के रहने के सन्दर्भ तक जाती हैं और जिनका लेखन-फलक लाल पीली ज़मीन के खुरदरे यथार्थ, तुम्हारी रोशनी में की कोमलता और काव्यात्मकता, धीरसमीरे  की भारतीय परम्परा की खोज, हुज़ूर दरबार और पाँच आँगनोंवाला घर के इतिहास और अतीत के सन्दर्भ में आज के प्रश्नों की पड़ताल–इन्हें एक साथ समेटे हुए है।

उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं—वह अपना चेहरा, उतरती हुई धूप, लाल पीली ज़मीन, हुज़ूर दरबार, तुम्हारी रोशनी में, धीरसमीरे, पाँच आँगनोंवाला घर, फूल...इमारतें और बन्दर, कोहरे में क़ैद रंग, धूल पौधों पर, अरण्यतंत्र, शाम की ​​झिलमिल, ख़िलाफ़त (उपन्यास); पगला बाबा, आसमान...कितना नीला, हवाबाज़, मुझे बाहर निकालो, नये सिरे से आदि (कहानी-संग्रह); निर्झरिणी (सम्पूर्ण कहानियाँ दो खंडों में); धुंध-भरी सुर्ख़ी, दरख़्तों के पार...शाम, झूलती जड़ें, परतों के बीच (यात्रा-वृत्त); साहित्य का सन्दर्भ, कथा भूमि, संवाद अनायास, समय और सर्जना, साहित्य, साहित्यकार और प्रेम, सान्निध्य-साहित्यकार (निबन्ध); ओ प्रकृति माँ! (कविता); मास्टर मनसुखराम, कवि के घर में चोर, आदमी का जानवर (बाल-साहित्य); रंगों की गंध (समग्र यात्रा-वृत्त दो खंडों में); चुनी हुई रचनाएँ (तीन खंडों में); गोविन्द मिश्र रचनावली : संपादक नन्दकिशोर आचार्य (बारह खंडों में)।

उन्हें प्राप्त कई पुरस्कारों/सम्मानों में पाँच आँगनोंवाला घर के लिए 1998 का ‘व्यास सम्मान’, 2008 में ‘साहित्य अकादेमी’, 2011 में ‘भारत-भारती सम्मान’, 2013 का ‘सरस्वती सम्मान’ विशेष उल्लेखनीय हैं।

सम्पर्क : एच.एक्स. 94, ई-7, अरेरा कॉलोनी,

भोपाल-462016

ई-मेल : govindmishra1939@gmail.com

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