Nai Paudh

Author: Nagarjun
Edition: 2024, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Nai Paudh
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‘नई पौध’ की कहानी अति सरल है। गाँव के बड़े-बूढ़ों की ज़िद तोड़कर तरुणों ने एक लड़की के जीवन को चौपट होने से बचा लिया—बे-मेल शादियों की यह समस्या हमारे ग्रामीण समाज में आज भी विकराल रूप में मौजूद है। इस समस्या का विप्लवी समाधान नई पीढ़ी ही दे सकती है...

नागार्जुन का यह उपन्यास, आकार में लघु होने पर भी, प्रभाव के लिहाज़ से बड़ा ही व्यापक साबित हुआ है...प्रकृति की मनोरम पट-भूमि पर कथाकार ने घटनाओं का मोहक ताना-बाना सजाया है। विशिष्ट आलोचकों ने नागार्जुन की इस कथाकृति की भूरि-भूरि सराहना की है और साधारण पाठकों ने भी इसे बेहद पसन्द किया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1980
Edition Year 2024, Ed. 4th
Pages 139p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Nagarjun

Author: Nagarjun

नागार्जुन

जन्म : 30 जून, 1911 (ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन); ग्राम—तरौनी, ज़िला—दरभंगा (बिहार)।

शिक्षा : परम्परागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा।

सुविख्यात प्रगतिशील कवि-कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बांग्ला में काव्य-रचना। पूरा नाम वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’। मातृभाषा मैथिली में ‘यात्री’ नाम से ही लेखन। शिक्षा-समाप्ति के बाद घुमक्कड़ी का निर्णय। गृहस्थ होकर भी रमते-राम। स्वभाव से आवेगशील, जीवन्त और फक्कड़। राजनीति और जनता के मुक्तिसंघर्षों में सक्रिय और रचनात्मक हिस्सेदारी। मैथिली काव्य-संग्रह ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान तथा मध्य प्रदेश और बिहार के ‘शिखर सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।

प्रमुख कृतियाँ : ‘रतिनाथ की चाची’, ‘बाबा बटेसरनाथ’, ‘दुखमोचन’, ‘बलचनमा’, ‘वरुण के बेटे’, ‘नई पौध आदि’ (उपन्यास); ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखोंवाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘चंदना’, ‘खिचड़ी विप्लव देखा हमने’, ‘तुमने कहा था’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘हज़ार-हज़ार बाँहोंवाली’, ‘पका है यह कटहल’, ‘अपने खेत में’, ‘मैं मिलिटरी का बूढ़ा घोड़ा’ (कविता-संग्रह); ‘भस्मांकुर’, ‘भूमिजा’ (खंडकाव्य); ‘चित्रा’, ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ (हिन्दी में भी अनूदित मैथिली कविता-संग्रह); ‘पारो’ (मैथिली उपन्यास); ‘धर्मलोक शतकम्’ (संस्कृत काव्य) तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियाँ।

निधन : 5 नवम्बर, 1998

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