Muslim Navjagran Aur Akbar Allahabadi Ka 'Gandhinama'

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Muslim Navjagran Aur Akbar Allahabadi Ka 'Gandhinama'
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हिन्दी में सम्भवत: यह पहली किताब है जिसमें अकबर इलाहाबादी के ‘गांधीनामा’ की पृष्ठभूमि में मुस्लिम नवजागरण, उसके विविध पक्षों तथा उसमें योगदान देनेवाले प्रमुख उन्नायकों के अवदान के बारे में इतनी बारीक चर्चा की गई है। इसमें शाह वली उल्लाह से लेकर मौलाना आज़ाद तक जैसे विख्यात युगपुरुषों के अवदान पर विचार तो किया ही गया है, इसके अलावा दो ऐसे विचारकों के योगदान पर भी विस्तारपूर्वक चर्चा की गई है जिनके सम्बन्ध में बहुत कम लोग जानते हैं। मिर्ज़ा अबू तालिब और मौलवी मुमताज़ अली दो ऐसे ही नाम हैं। मिर्ज़ा अबू तालिब को मुस्लिम जगत में आधुनिकता की पहली आहट निरूपित किया गया है और मौलवी मुमताज़ अली को पहले मुस्लिम नारीवादी के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

हिन्दू नवजागरण के प्रवर्तक राजा राममोहन राय और मुस्लिम नवजागरण के उन्नायक सर सैयद अहमद ख़ाँ के नेतृत्व वाली अलग-अलग ये दोनों धाराएँ बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में महात्मा गांधी पर आकर एक बार एक हो जाती हैं। अकबर इलाहाबादी का ‘गांधीनामा’ दोनों पुनर्जागरणों के मिलन-बिन्दु का काव्य है। अकबर को व्यंग्य और विनोद के कवि के रूप में ही प्राय: सीमित कर दिया जाता है, उनकी कविता का प्रबल उपनिवेश विरोधी स्वर अकसर रेखांकित नहीं हो पाता। दरअसल गांधी जी की तरह वह भी पश्चिमी सभ्यता के अन्धाधुन्ध नक़ल और मशीनों के ख़िलाफ़ थे। इस तरह गांधी और अकबर के विचारों में अद्भुत समानता है। ‘गांधीनामा’ में यह स्वर बहुत अच्छी तरह से मुखर है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 312p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Virendra Kumar Baranwal

Author: Virendra Kumar Baranwal

वीरेन्द्र कुमार बरनवाल

जन्म : 21 अगस्त, 1941; फूलपुर, आज़मगढ़ (उ.प्र.)।

माँ गायत्री देवी; पिता दयाराम बरनवाल—स्वतंत्रता सेनानी, भारत छोड़ो आन्दोलन (1942) के दौरान जेल-यात्रा, समाजवादी आन्दोलन से गहरा जुड़ाव।

शिक्षा : बी.ए. (ऑनर्स), एम.ए. (अंग्रेज़ी साहित्य), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; एल-एल.बी., भोपाल विश्वविद्यालय।

कुछ वर्ष अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य का अध्यापन, सन् 1969 से 2005 तक भारतीय राजस्व सेवा (इंडियन रेवेन्यू सर्विस) में, मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पानी के छींटे सूरज के चेहरे पर’ (नाइज़ीरियाई कविताओं के अनुवाद), वोले शोयिंका की कविताएँ (नोबेल पुरस्कार सम्मानित पहले अश्वेत रचनाकार की कविताओं के अनुवाद), ‘पहल’ पुस्तकमाला के अन्तर्गत ‘रक्त में यात्रा’ (रेड इंडियन कविताओं के अनुवाद) एवं ‘वो पहला नाख़ुदा हिन्दोस्तानी के सफ़ीने का—वली दक्खिनी’ तथा ‘तनाव’ पुस्तकमाला के अन्तर्गत ‘माची तवारा की कविताएँ’ (युवा जापानी कवयित्री की तन्काओं के अनुवाद)—सभी पुस्तकें/पुस्तिकाएँ विस्तृत परिचयात्मक भूमिका के साथ।

‘जिन्ना : एक पुनर्दृष्टि’ (जिन्ना तथा उनके महत्त्वपूर्ण समकालीनों पर एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में विमर्श), ‘हिन्द स्वराज : नव सभ्यता-विमर्श’, ‘रतनबाई जिन्ना’ (नाटक—प्रकाश्य) तीनों राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली से।

हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, संस्कृत तथा तुलनात्मक साहित्य के साथ हाशिये पर पड़े साहित्य, ख़ासकर अश्वेत और रेड इंडियन साहित्य एवं भारतीय पुनर्जागरण तथा स्वतंत्रता-संग्राम के विमर्श में गहरी रुचि।

पुरस्कार : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (आगरा) के ‘महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार’ से राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित।

निधन : 12 जून, 2020

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