Murda-Ghar

Edition: 2022, Ed. 6th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Murda-Ghar

मुरदा-घर सामाजिक विसंगतियों और विषमताओं का यथार्थपूर्ण चित्रण है। वर्तमान अर्थव्यवस्था के तहत गाँवों के उजड़ने की प्रक्रिया जैसे-जैसे तेज़ होती गई, महानगरों में गन्दी बस्तियों और झोंपड़पट्टियों या झुग्गी-झोंपड़ियों का उतनी ही तेज़ी से विस्तार होता गया। इन बस्तियों में मानव-जीवन का जो रूप विकसित हुआ, वह काफ़ी विकृत और अमानवीय है। वेश्यावृत्ति और अपराध-कर्म का यहाँ विशेष रूप से विकास हुआ।

‘मुरदा-घर’ में झोंपड़पट्टी की वेश्याओं की दयनीय स्थिति का शक्तिशाली चित्रण है। विद्रूप यथार्थ ‘मुरदा-घर’ के केन्द्र में ज़रूर है, लेकिन उपन्यास की मुख्य धारा करुणा और संवेदना की है। विकृत से

विकृत स्थितियों से गुज़रते हुए भी उपन्यास के पात्र नितान्त मानवीय और संवेदनशील हैं। ‘मुरदा-घर’ में वर्तमान राज्य-तंत्र के अमानवीय रूप को भी उकेरा गया है। पुलिस-स्टेशन, हवालात, कचहरी वग़ैरह का जो रूप यहाँ सामने आया है, काफ़ी अमानवीय और नृशंस है।

‘मुरदा-घर’ आज की हमारी पूरी व्यवस्था पर एक प्रश्नचिह्न है। जैसा कि एक आलोचक ने कहा है, ‘मुरदा-घर’ आधुनिक हिन्दी उपन्यासों की दुनिया में एक चुनौती है। इसका सामना करना आसान नहीं है।’

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1974
Edition Year 2022, Ed. 6th
Pages 147p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Jagdamba Prasad Dixit

Author: Jagdamba Prasad Dixit

जगदम्‍बाप्रसाद दीक्षित

मध्य प्रदेश के बालाघाट क़स्बे में 1913 में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में। बाद की शिक्षा तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर में। वहीं से एम.ए. करने के बाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुम्‍बई में अध्यापन। इससे पहले नागपुर के दो दैनिक पत्रों में उप-सम्‍पादक पद पर कार्य किया।

मार्क्सवाद-लेनिनवाद और माओ त्से तुंग के चिन्‍तन से प्रभावित। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के बीच संगठनात्मक गतिविधियाँ। 1970 में गिरफ़्तारी। 1972 में ‘पीपुल्स पावर’ अंग्रेज़ी पत्रिका का सम्‍पादन-प्रकाशन। कुछ विदेश यात्राएँ।

1953 से ही कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं।

प्रमुख कृतियों में हैं : ‘कटा हुआ आसमान’, ‘मुरदा-घर’, ‘अकाल’, ‘इतिवृत्त’ (उपन्‍यास); ‘शुरुआत’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में राष्ट्रीय और दलाल पूँजीपति’, ‘नेशनल एंड कांप्रेडोर बुर्जुआजी’, ‘बोगस थियरी ऑफ़ फ्यूडलिज्म’ (राजनीति); ‘काग़ज़ के आदमी’, ‘मक्खी’ (नाटक) आदि।
सिनेमा : ‘दीक्षा’, ‘सर’, ‘ज़हर’, ‘नाजायज’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘कलियुग’, ‘जानम’ आदि फ़‍िल्मों के लिए लेखन।

निधन : 2014

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