‘मुरदाघर’ जैसे सशक्त उपन्यास के लेखक जगदम्बाप्रसाद दीक्षित का एक उल्लेखनीय उपन्यास है—‘अकाल’। ‘अकाल’ एक ऐसा मार्मिक उपन्यास है जिसमें समाज और व्यक्ति के बीच रिश्तों को मार्मिक पुट दिया गया है। आज का भारतीय गाँव शुद्ध अर्थों में गाँव नहीं रहा है। आज वह महानगरों का आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विद्रूप होकर रह गया है। गाँव के जीवन में हर जगह महानगरों की अपसंस्कृति और विकृत मूल्यवत्ता फैली हुई हैं। आज का भारतीय गाँव एक त्रासद विघटन और टूटन की प्रक्रिया से गुज़र रहा है। ‘अकाल’ ऐसे ही गाँव का दस्तावेज़ है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1997 |
Edition Year | 2024, Ed. 2nd |
Pages | 158p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 19 X 12.5 X 2 |