मुरदाघर’ जैसे सशक्त उपन्यास के लेखक जगदम्बाप्रसाद दीक्षित का एक उल्‍लेखनीय उपन्यास है—‘अकाल’। ‘अकाल’ एक ऐसा मार्मिक उपन्यास है जिसमें समाज और व्यक्ति के बीच रिश्तों को मार्मिक पुट दिया गया है। आज का भारतीय गाँव शुद्ध अर्थों में गाँव नहीं रहा है। आज वह महानगरों का आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विद्रूप होकर रह गया है। गाँव के जीवन में हर जगह महानगरों की अपसंस्कृति और विकृत मूल्यवत्‍ता फैली हुई हैं। आज का भारतीय गाँव एक त्रासद विघटन और टूटन की प्रक्रिया से गुज़र रहा है। ‘अकाल’ ऐसे ही गाँव का दस्तावेज़ है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1997
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 158p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 19 X 12.5 X 2
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Jagdamba Prasad Dixit

Author: Jagdamba Prasad Dixit

जगदम्‍बाप्रसाद दीक्षित

मध्य प्रदेश के बालाघाट क़स्बे में 1913 में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में। बाद की शिक्षा तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर में। वहीं से एम.ए. करने के बाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुम्‍बई में अध्यापन। इससे पहले नागपुर के दो दैनिक पत्रों में उप-सम्‍पादक पद पर कार्य किया।

मार्क्सवाद-लेनिनवाद और माओ त्से तुंग के चिन्‍तन से प्रभावित। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के बीच संगठनात्मक गतिविधियाँ। 1970 में गिरफ़्तारी। 1972 में ‘पीपुल्स पावर’ अंग्रेज़ी पत्रिका का सम्‍पादन-प्रकाशन। कुछ विदेश यात्राएँ।

1953 से ही कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं।

प्रमुख कृतियों में हैं : ‘कटा हुआ आसमान’, ‘मुरदा-घर’, ‘अकाल’, ‘इतिवृत्त’ (उपन्‍यास); ‘शुरुआत’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में राष्ट्रीय और दलाल पूँजीपति’, ‘नेशनल एंड कांप्रेडोर बुर्जुआजी’, ‘बोगस थियरी ऑफ़ फ्यूडलिज्म’ (राजनीति); ‘काग़ज़ के आदमी’, ‘मक्खी’ (नाटक) आदि।
सिनेमा : ‘दीक्षा’, ‘सर’, ‘ज़हर’, ‘नाजायज’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘कलियुग’, ‘जानम’ आदि फ़‍िल्मों के लिए लेखन।

निधन : 2014

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