Kata Hua Aasman

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Kata Hua Aasman
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जगदम्बाप्रसाद दीक्षित ने अपने पहले उपन्यास ‘कटा हुआ आसमान’ का लेखन सन् 1964 में शुरू किया था। तीन साल बाद अर्थात् 1967 में उपन्यास पूरा हो गया। किन्तु इसका प्रकाशन तुरन्त ही नहीं हो सका। 1971 में यह उपन्यास पहली बार प्रकाशित हुआ। 
अपने प्रकाशन के साथ इस उपन्यास ने हिन्दी जगत् में सनसनी पैदा कर दी। महानगर के व्यस्त और खंड–खंड जीवन के अकेलेपन, अजनबीपन और संत्रास को लेकर वैसे तो काफ़ी कुछ लिखा गया था, लेकिन अनुभूति के स्तर पर इस जीवन की तीव्र अभिव्यक्ति पहली बार ‘कटा हुआ आसमान’ में हुई है। पहली बार उपन्यास के केन्द्र में त्रासदी से गुज़रने वाले मानस–पटल को रखा गया और उसके दृष्टिकोण से वर्तमान के यथार्थ के साथ अतीत और भविष्य के कल्पना–चित्रों को संगुम्फित कर दिया गया। कथ्य और शैली, दोनों के क्षेत्र में यह एक अभूतपूर्व प्रयोग था और इसका प्रभाव भी चमत्कारिक था। कुछ लोगों ने इस उपन्यास को चेतना-प्रवाही शैली का हिन्दी का पहला उपन्यास कहा है। चेतना–प्रवाही शैली को पश्चिम में जेम्स ज्वायस ने एक नितान्त व्यक्तिवादी अभिव्यक्ति के रूप में प्रयुक्त किया था। ‘कटा हुआ आसमान’ को पूरी तरह चेतना–प्रवाही शैली का उपन्यास नहीं कहा जा सकता। इसमें व्यक्ति की चेतना को सामाजिक और वर्गीय सन्दर्भों के साथ जोड़कर समग्रता में देखा गया है।
उपन्यास के मूल में एक कथानक है जो स्त्री-पुरुष सम्बन्धों के एक ऐसे पक्ष को प्रस्तुत करता है जो वर्गीय अन्तर्विरोधों पर आधारित है। ये अन्तर्विरोध वर्गीय तो हैं ही, क़स्बाई और महानगरीय जीवन-शैलियों, मान्यताओं और मूल्यों को भी प्रतिबिम्बित करते हैं।
लेकिन ‘कटा हुआ आसमान’ मात्र चिन्तन और विचार-शक्ति की अभिव्यक्ति नहीं है। यह एक तीव्र जीवनानुभव है। इस उपन्यास को जब आप पढ़ते हैं तो आप कोई पुस्तक नहीं पढ़ते हैं, एक सनसनीखेज़ अनुभव-संसार से गुज़रते हैं। भागते हुए लोगों और वाहनों की तेज़ आवाज़ें, फेरीवालों और भिखारियों की चीख़ें, सारे माहौल में व्याप्त एक विलक्षण तनाव की अनुगूँजें और यांत्रिक मानव-जीवन की तीव्रताएँ आपको लगातार झकझोरती रहती हैं। खंड-खंड यथार्थ को जीने का अनुभव आपको पल-भर के लिए भी नहीं छोड़ता।
इसमें शक नहीं कि ‘कटा हुआ आसमान’ हर दृष्टि से हिन्दी उपन्यास-संसार की एक अनूठी रचना है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1971
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 179p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Jagdamba Prasad Dixit

Author: Jagdamba Prasad Dixit

जगदम्‍बाप्रसाद दीक्षित

मध्य प्रदेश के बालाघाट क़स्बे में 1913 में जन्म। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा, उन्नाव, उत्तर प्रदेश में। बाद की शिक्षा तत्कालीन मध्य प्रदेश की राजधानी नागपुर में। वहीं से एम.ए. करने के बाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज, मुम्‍बई में अध्यापन। इससे पहले नागपुर के दो दैनिक पत्रों में उप-सम्‍पादक पद पर कार्य किया।

मार्क्सवाद-लेनिनवाद और माओ त्से तुंग के चिन्‍तन से प्रभावित। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के बीच संगठनात्मक गतिविधियाँ। 1970 में गिरफ़्तारी। 1972 में ‘पीपुल्स पावर’ अंग्रेज़ी पत्रिका का सम्‍पादन-प्रकाशन। कुछ विदेश यात्राएँ।

1953 से ही कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं।

प्रमुख कृतियों में हैं : ‘कटा हुआ आसमान’, ‘मुरदा-घर’, ‘अकाल’, ‘इतिवृत्त’ (उपन्‍यास); ‘शुरुआत’ (कहानी-संग्रह); ‘भारत में राष्ट्रीय और दलाल पूँजीपति’, ‘नेशनल एंड कांप्रेडोर बुर्जुआजी’, ‘बोगस थियरी ऑफ़ फ्यूडलिज्म’ (राजनीति); ‘काग़ज़ के आदमी’, ‘मक्खी’ (नाटक) आदि।
सिनेमा : ‘दीक्षा’, ‘सर’, ‘ज़हर’, ‘नाजायज’, ‘फिर तेरी कहानी याद आई’, ‘कलियुग’, ‘जानम’ आदि फ़‍िल्मों के लिए लेखन।

निधन : 2014

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