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Mrityu : Kavitayein

Author: Arun Dev
Edition: 2025, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Mrityu : Kavitayein

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जीवन और मृत्यु सहोदर स्थितियाँ हैं। लेकिन खड़ी बोली हिन्दी में ऐसी कोई कविता पुस्तक नहीं जो केवल मृत्यु सम्बन्धी अनुभव और स्थितियों से निर्मित हो। इस अर्थ में अरुण देव के इस संग्रह का प्रकाशन एक विरल घटना है। सौ पदों में प्रशस्त यह पुस्तक मृत्यु के प्राय: सभी आयामों,पक्षों और मृत्युजनित भावों को पुंजीभूत करती है।

इन कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता है जीवन के साथ घनिष्ठता। मृत्यु की कविताएँ अन्ततः जीवन की कविताएँ होती हैं, जो जीवन था, जो है और जो होगा। कभी-कभी कविता इतनी कम जगह घेरती है मानो कोई अन्तिम साँस हो। कभी कबीर से लेकर कामू तक के प्रसंग एक बिम्ब को महाकाव्यात्मक विस्तार दे देते हैं। लेकिन कहीं भी न तो ईश्वर का स्मरण है, न किसी अन्य लोक या उत्तर-जीवन की अभिलाषा। जो है यहीं है। मृत्यु भी इसी जीवन, इसी संसार की परिघटना है, शाश्वत और सर्वग्रासी। लेकिन जीवन सबसे बड़ा है।

—अरुण कमल प्रख्यात कवि

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 136p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 11.5 X 1
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Arun Dev

Author: Arun Dev

अरुण देव

अरुण देव का जन्म 16 फ़रवरी, 1972 को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ। ‘क्या तो समय’, ‘कोई तो जगह हो’ तथा ‘उत्तर पैग़म्बर’ के बाद नवीनतम कविता-संग्रह ‘मृत्यु : कविताएँ’ है। पाँच सम्पादित किताबें प्रकाशित हैं। उनकी कविताओं के अनुवाद असमी, कन्नड़, तमिल, मराठी, नेपाली, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में हुए हैं। वे 15 वर्षों से साहित्य, कला और विचार की वेब पत्रिका ‘समालोचन’ का सम्पादन कर रहे हैं। उन्हें 2013 का ‘राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय सम्मान’ तथा 2022 का ‘देवेन्द्र कुमार कविता सम्मान’ मिला है।

ई-मेल : devarun72@gmail.com

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