Facebook Pixel

Monalisa Ki Aankhen-Hard Cover

Special Price ₹212.50 Regular Price ₹250.00
15% Off
In stock
SKU
9788126724840
- +
Share:
Codicon

सुमन केशरी की कविताएँ एक आधुनिक स्त्री की कविताएँ हैं : वे जितनी एक आधुनिक चौकस व्यक्ति हैं, उतनी ही एक संवेदनशील और सजग स्त्री भी। उनमें एक गहरा अवसाद और प्रतिरोध है लेकिन चीख़-पुकार नहीं। वे घटनाओं और आसपास जो हो रहा है, उससे प्रतिकृत तो होती हैं लेकिन उसे नाटकीय वक्तव्य बनाने से बचती हैं। उनके पास आधुनिकता का अतिरेक नहीं, संवेदना का सहज संयम है। उनकी कविता में मोनालिसा, माँ, बेटी, पूर्वज, सपने, चिड़िया, मणिकर्णिका, सम्बन्ध, औरत सब जीवन की असंख्य छवियों में से कुछ की तरह विन्यस्त होते
हैं।

सुमन केशरी की कविता यह अहसास बनाए रखती है कि जीवन विस्तृत और अबाध है और कविता उस पर, उस विशाल और जटिल वितान पर ससंकोच खुली खिड़की-भर है। उनकी कविता में कई मर्मचित्र हैं जो मन में बिंध से जाते हैं : ‘लहू का आलता लगाए’, ‘सुनो बिटिया/मैं उड़ती हूँ/खिड़की के पार चिड़िया बन/तुम आना’, ‘अपने ही तारे को/अस्त होते देखना/मरने जैसा है/धीरे...धीरे’, ‘पीठ दिए एक चिता को/धोती सुखाता दूसरी की आँच में/प्रेत-सा खड़ा’, ‘बिटिया बोली/चिड़िया का बच्चा बोला’, ‘चुटकी-भर विश्वास/नमक-सा’ आदि।

सुमन केशरी का संग्रह काव्य-कौशल की परिपक्वता और अनुभव के विस्तार के लिए उल्लेखनीय है। —अशोक वाजपेयी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 104p
Price ₹250.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Monalisa Ki Aankhen-Hard Cover
Your Rating
Suman Keshari

Author: Suman Keshari

सुमन केशरी

सुमन केशरी का जन्म मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। वे मूलतः कवि हैं किन्तु उन्होंने लेख, कहानी, नाटक, यात्रा-वृत्तान्त जैसी विधाओं में भी पर्याप्त काम किया है। कविताओं की व्याख्याओं के साथ-साथ आर्मेनियाई जनसंहार पर एक पुस्तक तैयार की है। उन्हें प्रशासन, अध्यापन और सामाजिक क्षेत्र में काम करने के गहरे अनुभव हैं। मिथकीय चरित्रों की मूल संवेदना को बनाए-बचाए रखते हुए, मिथकों को आज के लिए प्रासंगिक बनाने की कला में वे निष्णात हैं। उन्होंने रामायण और महाभारत के अनेक चरित्रों और प्रसंगों पर कविताएँ व लेख लिखे हैं।

सुमन जी की प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘याज्ञवल्क्य से बहस’ (2008), ‘मोनालिसा की आँखें’ (2013), ‘शब्द और सपने’ (2015), ‘पिरामिडों की तहों में’ (2018), ‘निमित्त नहीं!!’ (2022) (कविता-संग्रह); ‘गांधारी’ (नाटक); ‘कोराना काल में शादी’ (लघु नाटक)। ‘जेएनयू में नामवर सिंह’ (2009), ‘आर्मेनियाई जनसंहार : ऑटोमन साम्राज्य का कलंक’ (2021, सुश्री माने मकर्तच्यान के साथ सम्पादन)।

‘मोनालिसा की आँखें’ संकलन का मराठी और राजस्थानी में अनुवाद प्रकाशित है।

जीवन और लेखन दोनों में प्रयोगधर्मी सुमन केशरी इन दिनों ‘कथानटी सुमन केशरी’ के नाम से सोशल मीडिया पर कहानियाँ भी सुनाती हैं।

सम्पर्क : sumankeshari@gmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top