Katlgaah

Author: Robert Payne
Translator: Priyadarshan
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Katlgaah
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रॉबर्ट पेन का उपन्यास ‘क़त्लगाह’ बांग्लादेश के मुक्ति-संघर्ष की पृष्ठभूमि पर रचा गया सम्भवत: एकमात्र उपन्यास है। बांग्लादेश का मुक्ति-संघर्ष दुनिया के इतिहास का वह स्वर्णिम अध्याय है जो बताता है कि तानाशाही और फ़ौजी दमन का बडे से बड़ा उपक्रम किसी देश की मुक्तिकामी जनता के संघर्ष के आगे किस तरह पराजित हो जाता है।

‘क़त्लगाह’ इस संघर्ष को दुबारा अपने पृष्ठों पर साकार करता है। इसे पढ़ते हुए हम महसूस करते हैं कि संघर्ष सिर्फ़ एक शब्द नहीं होता। वह व्यापक धैर्य और त्याग की माँग करता है। संघर्ष कर रही जनता को अकल्पनीय दमन और अत्याचार से गुज़रना पड़ता है। उसके छात्रों और बुद्धिजीवियों को गोली मार दी जाती है। उसके घर-गाँव जलाकर राख कर दिए जाते हैं। उसकी औरतों को सामूहिक बलात्कार की यातना से गुज़रना पडता है। अंग-भंग, अत्याचार और तबाही का एक पूरा चक्र उसे अपने सीने पर झेलना पड़ता है। ‘क़त्लगाह' यह भी बताता है कि इतने सारे अत्याचारों की चट्‌टान के नीचे भी, मुक्ति के संघर्ष का एक पौधा लहलहाता रहता है। वह भिंची हुईं मुट्ठियों, तने हुए माथों, उठे हुए हाथों की शक्ल में धीरे-धीरे बढ़ता जाता है। एक दिन सारी चट्‌टानें दरक जाती हैं और सिर्फ़ पौधा बचा रहता है।

‘क़त्लगाह’ जितना उपन्यास है, उतना ही इतिहास भी। रॉबर्ट पेन ने ब्यौरे में जाकर, सारे तथ्य इकट्‌ठा करते हुए जितनी प्रामाणिकता के साथ इस इतिहास को सामने रखा है, वह चमत्कृत करता है। यह लेखकीय कौशल का ही प्रमाण है कि न उपन्यास इतिहास के साथ छेड़छाड़ करता है, और न ही इतिहास उपन्यास के प्रवाह को बाधित करता है। तथ्य और कल्पना इस तरह घुले-मिले हैं कि वे एक-दूसरे को सहारा देते हैं। लेखकीय तटस्थता तथ्य के साथ पूरा न्याय करते हुए भी उस मानवीय संवेदना का स्पर्श करती है जो इस संघर्ष को एक उदात्त स्वरूप देती है। इस उपन्यास के ब्यौरों से गुज़रते हुए एक थरथराहट बहुत भीतर तक महसूस की जा सकती है, जो धीरे-धीरे तल्लीनता में बदलती है और आख़िर में इस विश्वास में कि मुक्ति की कामना अगर सच्ची हो तो वह कभी पराजित नहीं होती।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 416p
Translator Priyadarshan
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Author: Robert Payne

रॉबर्ट पेन

रॉबर्ट पेन का जन्म सन् 1911 में कॉर्नवॉल, इंग्लैंड में हुआ था।
उनकी शिक्षा केपटाउन, लीवरपूल, म्यूनिख और सोरबीन के विश्वविद्यालयों में पूरी हुई।
द्वितीय विश्वयुद्ध में जिस समय हिटलर की सेना वियना पहुँची, उस समय रॉबर्ट पेन वहीं थे। वे कुछ समय तक रिपब्लिकन स्‍पेन में युद्ध संवाददाता भी रहे और जब वे सिंगापुर की नौसेना के अड्‌डे पर अधिकारी थे. उन्हीं दिनों वहाँ जापानी सेना का आक्रमण हुआ था। उन्हें चुंगकिंग के ब्रिटिश दूतावास भेज दिया गया लेकिन वे चीनी विश्वविद्यालयों की ओर फरार होने में कामयाब रहे।
वे अंग्रेज़ी कविता के प्रोफ़ेसर और नौसैनिक वास्तुकला के जिंहुआ विश्वविद्यालय, कनमिंग में लेक्चरर रहे। जापानी युद्ध की समाप्ति के बाद वे माओत्से-तुंग से कई बार मिले।
विश्वयुद्ध के बाद उनका अधिकतम समय अमरीका में ही गुज़रा। इस बीच वे एशिया महाद्वीप की यात्राएँ भी करते रहे। वे दो बार बांग्लादेश की यात्रा पर गए, कई बार शेख मुज़ीबुर्रहमान से मुलाक़ातें कीं और बांग्लादेश के अधिकतर हिस्सों की यात्राएँ कीं।
रॉबर्ट पेन ने हिटलर, लेनिन, महात्मा गांधी की जीवनियों के लेखक के रूप में विश्व-भर में ख्याति अर्जित की।
निधन : सन् 1983 में हुआ।

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