Kam Se Kam-Hard Back

Special Price ₹250.75 Regular Price ₹295.00
15% Off
Out of stock
SKU
9789388753746
Share:

ऐसे दौर में जब लोकतन्त्र में कई गैर लोकतान्त्रिक तरीकों से असहमति को दबाये जाने का एक सुनियोजित अभियान ही चल रहा है, तब अशोक वाजपेयी उन सार्वजनिक रूप से सक्रिय व्यक्तियों में से हैं जो कविता, लेखन, वक्तव्य और कर्म के अनेक स्तरों पर असहमति को विन्यस्त और मुखर कर रहे हैं। तरह-तरह से डराई जा रही व्यवस्था में वे निडर रहकर अपनी बात कहते हैं। वे उन लोगों में से हैं जो अन्त:करण के आयतन को संक्षिप्त होने से लगातार बचाने का अथक यत्न करते रहे हैं।

‘कम से कम’ की कविताएँ ज़्यादा से ज़्यादा मानवीय बने रहने का अभ्यास हैं : वे इसका साक्ष्य हैं कि कठिन से कठिन समय में कविता मनुष्य बने रहने की सम्भावना की जगह होती है।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 71p
Price ₹295.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Kam Se Kam-Hard Back
Your Rating
Ashok Vajpeyi

Author: Ashok Vajpeyi

अशोक वाजपेयी

जन्म : 16 जनवरी, 1941, दुर्ग (मध्य प्रदेश)।

शिक्षा : सागर विश्वविद्यालय से बी.ए. और सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अंग्रेज़ी में एम.ए.।

कृतियाँ : ‘शहर अब भी संभावना है’, ‘एक पतंग अनंत में’, ‘अगर इतने से’, ‘कहीं नहीं वहीं’, ‘समय के पास समय’, ‘इबारत से गिरी मात्राएँ’, ‘दुख चिट्ठीरसा है’, ‘कहीं कोई दरवाज़ा’, ‘तत्पुरुष’, ‘बहुरि अकेला’, ‘थोड़ी-सी जगह’, ‘घास में दुबका आकाश’, ‘आविन्यों’, ‘जो नहीं है’, ‘अभी कुछ और’, ‘नक्षत्रहीन समय में’, ‘कम से कम’ प्रमुख संग्रहों में हैं। कविता के अलावा आलोचना की ‘फिलहाल’, ‘कुछ पूर्वग्रह’, ‘समय से बाहर’, ‘सीढिय़ाँ शुरू हो गई हैं’, ‘कविता का गल्प’, ‘कवि कह गया है’, ‘कविता के तीन दरवाज़े’आदि कृतियाँ प्रकाशित।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘दयावती मोदी कविशेखर सम्मान’ और ‘कबीर सम्मान’ के अलावा फ़्रेंच सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स—2005’ और पोलिश सरकार का ‘ऑफ़‍िसर ऑफ़ द ऑर्डर ऑफ़ क्रास—2004’ सम्मान।

वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में साढ़े तीन दशक, भारत भवन न्यास के सचिव और अध्यक्ष, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के संस्थापक-कुलपति, केन्द्रीय ललित कला अकादेमी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इन दिनों दिल्ली में रज़ा फ़ाउंडेशन के प्रबन्ध-न्यासी हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top