कालचक्र हमें इतिहास के एक ऐसे मोड़ पर ले जाता है, जहाँ आज़ादी के बाद का सबसे तीव्र घटना प्रवाह विद्यमान है, जहाँ खड़ा है एक आदमकद मोहभंग। एक ज्वार जहाँ उफन रहा है, जिसकी उत्तुंग लहरों में फूट रहा है एक अत्यन्त ठोस प्रश्न–यह आज़ादी क्या वास्तविक आजादी है ? या उसे अभी हासिल करना है ? यह माँग और इसी के साथ तमाम मेहनतकशों के राज की माँग जहाँ एक आँधी की तरह उठ रही है। जहाँ पूरे देश को हिला रहा है एक शब्द–अपने समय का सबसे आग्नेय शब्द–नक्सलबाड़ी। लेखिका ने इस महत्त्वपूर्ण उभार को अत्यन्त सघन रूप में व्यक्त किया है। राजनीतिक मूल्यों की सुस्पष्ट पहचान के साथ ही उभरती है निम्नमध्यवर्गीय पात्रों की एक

भरी-पूरी दुनिया, उनकी आशा-आकांक्षाएँ, रुचि-वैचित्र्य और आत्म-संघर्ष, जिन्हें लेखिका ने बड़ी ईमानदारी और आत्मा की पूरी गहराई से एक पहचान देने की कोशिश की है। नक्सलबाड़ी क्रान्ति के असफल हो जाने के कारणों की गम्भीर पड़ताल यहाँ दिखाई देती है। इस प्रयास में सबसे पहले जो चीज़ स्पष्ट होती है, वह यही कि क्रांति केवल कोरे आदर्शों और दुस्साहस के मेल का नाम नहीं है। वह मेहनतकश वर्ग के नेतृत्व के बिना सम्भव नहीं है। अभिजात और मध्यवर्ग के लोगों ने किस तरह इसका वरण किया, फिर किस तरह वे एकदम बिखर गए, टूट गए और उन्होंने राहें बदल लीं, इसका अत्यन्त कलात्मक चित्रण कर लेखिका ने अपनी दृष्टि-सम्पन्नता का ही परिचय दिया है। क्रांति की अनुगूँज इस समूची कृति में निरन्तर सुनाई देती है। और साथ ही यह आशय भी उभरकर आता है कि नारी मुक्ति से लेकर रोज़गार तक की प्रत्येक समस्या का हल इतिहास की इसी प्रक्रिया में–क्रांति की सफलता में–अन्तर्निहित है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 164p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1.5
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Madhu Bhaduri

Author: Madhu Bhaduri

मधु भादुड़ी

दिल्ली में स्कूली पढ़ाई के बाद इन्द्रप्रस्थ कॉलेज से दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया। 1965 से 1968 तक वहीं प्राध्यापिका रहीं।

1968 में भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश किया। तब से ऑस्ट्रिया, वियतनाम, मेक्सिको और जर्मनी में भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत रहीं। फिर बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में भारत की राजदूत।

मधुजी शास्त्रीय संगीत में विशेष रुचि रखती हैं। हिन्दी, बांग्ला और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त जर्मन और स्पेनिश की भी ज्ञाता।

प्रमुख कृतियाँ : ‘कालचक्र’, ‘ज्वार’, ‘अनादि अनन्त’ (उपन्यास); उपन्यास और कहानियों के साथ-साथ इन्होंने नाटक भी लिखे हैं।

आप ‘आम आदमी पार्टी’ के संस्थापकों में से एक रही हैं।

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