'कालचक्र' और 'ज्वार' के बाद मधु भादुड़ी का यह तीसरा उपन्यास है। भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत और प्राय: विदेश में ही रहनेवाला कोई साहित्यकार तेजी से बदल रहे भारतीय यथार्थ पर क्या इतनी पैनी नजर रख सकता है कि एक औपन्यासिक रचना के साथ पूरा न्याय कर सके ? मधु भादुड़ी ने अपने रचना कर्म से साबित किया है कि वे ऐसा कर सकती हैं। बगैर किसी दार्शनिक अतिरेक के, रोजमर्रे की ब्यौरेवार जिंदगी से गुजरते हुए वे मानवीय नियति के प्रश्नों से टकराती हैं और इसी क्रम में नियति निर्धारित करनेवाले कारकों पर रोशनी भी डालती हैं।

'अनादि अनंत' कलेवर की दृष्टि से एक छोटा उपन्यास है लेकिन इसमें एक भारतीय स्त्री के उत्पीड़ित से उत्पीड़क बनने और अपने इस परिवर्तन के जरिए अपनी विडंबना ही उजागर करने की एक बड़ी कथा कही गई है। जो साहित्यिक रूढ़ियाँ भारतीय स्त्री की सामाजिक हैसियत को लेकर सुदूर अतीत से बनी चली आ रही हैं और जो नई रूढ़ियाँ इस विषय में हाल के दौर में बनी हैं, दोनों पर ही यह उपन्यास कड़ा आघात पहुँचानेवाला साबित होगा, ऐसा हमारा विश्वास है ।

साथ की तीनों कहानियाँ, 'मुनिया', 'टेस्टर्ज टी' और 'अस्पताल' मधु भादुड़ी की किस्सागोई की बानगी हैं। वैसी ही सघन घटनात्मकता और क्लाइमेक्स की स्थितियाँ इनमें मौजूद हैं, जैसी आपको शास्त्रीय कहानियों से अपेक्षित होती हैं। एक लेखिका के बतौर मधु भादुड़ी की यह तीसरी प्रस्तुति आपको रोमांचित करेगी और हिंदी लेखक के विश्वव्यापी होते दायरे के प्रति आश्वस्त भी।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1998
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 150p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Madhu Bhaduri

Author: Madhu Bhaduri

मधु भादुड़ी

दिल्ली में स्कूली पढ़ाई के बाद इन्द्रप्रस्थ कॉलेज से दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया। 1965 से 1968 तक वहीं प्राध्यापिका रहीं।

1968 में भारतीय विदेश सेवा में प्रवेश किया। तब से ऑस्ट्रिया, वियतनाम, मेक्सिको और जर्मनी में भारतीय विदेश सेवा में कार्यरत रहीं। फिर बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में भारत की राजदूत।

मधुजी शास्त्रीय संगीत में विशेष रुचि रखती हैं। हिन्दी, बांग्ला और अंग्रेज़ी के अतिरिक्त जर्मन और स्पेनिश की भी ज्ञाता।

प्रमुख कृतियाँ : ‘कालचक्र’, ‘ज्वार’, ‘अनादि अनन्त’ (उपन्यास); उपन्यास और कहानियों के साथ-साथ इन्होंने नाटक भी लिखे हैं।

आप ‘आम आदमी पार्टी’ के संस्थापकों में से एक रही हैं।

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