परिचित कथा की अनकही कहानी एक मध्यवित्त परिवार की लड़कीउमा की दास्तान है जो अपने लिए एक हँसती-खेलती दुनिया की आकांक्षा मन में पाले हुए है लेकिन यह सब वह अपनी स्वतन्त्रता खोकर नहीं चाहती। ऊँची और उन्मुक्त उड़ान की आकांक्षी उमा स्वस्थ जीवन-मूल्यों के लिए जीना चाहती है। लेकिन सुरक्षा और स्वतन्त्रता, दोनों एकसाथ मिलना हमारी दुनिया में दुर्लभ है। यही इस लड़की का और इस उपन्यास का भी, रचनात्मक आत्मसंघर्ष है। उमा सदियों से बहती आ रही धारा में कूदकर अपनी अस्मिता नहीं खोना चाहती। तकनीकी क्रान्ति की पक्षधर होते हुए भी वह मानती है कि सामाजिक दुविधाओं को कम्प्यूटर से हल नहीं किया जा सकता और साहित्य तथा कला की ज़रूरत वहीं से शुरु होती है जहाँ तकनीकी की सीमा है। स्त्री-चेतना की अन्तर्वस्तु से लबरेज़ यह उपन्यास बीसवीं शताब्दी के आखिरी दो-तीन दशकों की राजनीतिक-सामाजिक हलचलों और सांस्कृतिक जीवन-मूल्यों में तेज़ी से आ रहे बदलावों को बड़ी संजीदगी से हमारे सामने उद्घाटित करता है। हालाँकि ये घटनाएँ रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की ही हैं लेकिन नियति के सवालों से बार-बार टकराती पारम्परिक जीवन-मूल्यों की जगह एक जनतान्त्रिक व ख़ुशहाल समाज की वकालत करती हैं। कथारस का प्रवाह ऐसा कि पूरा उपन्यास एक ही साँस में पढ़ लेने को जी चाहे।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 180p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21.5 X 14 X 1.5 |