'Jhansi Ki Rani' Ka Tulanatmak Anusheelan

Author: Richa Dwivedi
Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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'Jhansi Ki Rani' Ka Tulanatmak Anusheelan
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ऐतिहासिक घटनाओं या चरित्रों पर उपन्यास लेखन कल्पना के तत्त्वों के बिना सम्भव नहीं है लेकिन यही वह चीज़ है जो उपन्यासकार की दृष्टि और सामर्थ्य का भी पता देती है। उपन्यास मूलत: एक ललित विधा है जिसे पाठक सूचनाओं और ज्ञान के लिए नहीं मन-रंजन के लिए पढ़ता है और उससे चेतना के स्तर पर समृद्ध होता है। ऐतिहासिक उपन्यास इस स्तर पर अपने पाठक से कुछ भिन्न अपेक्षाएँ रखता है। वह उससे इतिहास को लेकर जागरूकता भी चाहता है।

ऐतिहासिक उपन्यास लिखते समय लेखक सूचनाओं को अपनी कथा में कैसे पिरोता है, यही शैली उस कृति की श्रेष्ठता को तय करती है। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को लेकर संयोग से दो बड़े लेखकों द्वारा लिखे गए उपन्यास हमारे पास हैं और दोनों अपनी प्रस्तुति, अपनी शैली और ऐतिहासिक तथ्यों के प्रयोग की नितान्त भिन्न शैली अपनाते हैं। एक को लिखा है हिन्दी के बहुपठित ऐतिहासिक उपन्यासकार वृन्दावनलाल वर्मा ने तो दूसरे को बांग्ला में जन-संघर्षों की कथाएँ लिखनेवाली महाश्वेता देवी ने जिसका हिन्दी अनुवाद भी प्रकाशित है।

यह पुस्तक इन दोनों उपन्यासों में इतिहास की प्रस्तुति का तुलनात्मक अध्ययन है। इस शोध का प्रस्थान-बिन्दु यह धारणा है कि एक ही ऐतिहासिक घटना से सम्बन्धित कलात्मक सच समान हो, यह ज़रूरी नहीं। उनमें समरूपता सम्भव है एकरूपता नहीं। यही बात इन दोनों उपन्यासों के अध्ययन से स्पष्ट होती है। वृन्दावनलाल वर्मा के उपन्यास में जहाँ लालित्य प्रधान है, वहीं महाश्वेता जी ने तथ्यात्मकता पर ज़ोर दिया है। वर्मा जी हमें कथा में बहाए लिए जाते हैं और महाश्वेता जी का उपन्यास हमें ऐतिहासिक तथ्यों के साथ लगातार जगाए रहता है। उसमें एक वस्तुनिष्ठता है।

यह पुस्तक इन दोनों कृतियों का सांगोपांग अध्ययन है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 328p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Richa Dwivedi

Author: Richa Dwivedi

ऋचा द्विवेदी

आपका जन्म 14 जुलाई, 1978 को हुआ। आपने हिन्दी तथा अंग्रेज़ी साहित्य में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई की। महात्मा जोतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, उत्तर प्रदेश से बी.एड. और पीएच.डी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। आपके शोध का विषय था—‘महाश्वेता देवी और वृन्दावनलाल वर्मा द्वारा लिखित ‘झाँसी की रानी’ का तुलनात्मक अध्ययन’।

देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ, कहानियाँ, लेख, चित्र आदि प्रकाशित। कुछ संग्रहों में कविताएँ संकलित। आपकी कविता और कहानी की पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं। आप साहित्यिक पत्रिका ‘मधुराक्षर’ से प्रबन्ध सम्पादक के रूप में जुड़ी हैं।

गौरीशंकर महाविद्यालय, आँवला, बरेली में कुछ वर्षों तक अध्यापन के बाद फ़िलहाल महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा के क्षेत्रीय केन्द्र इलाहाबाद में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत हैं।

ई-मेल: richashastri66@gmail.com

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