Jayasi : Ek Nai Drishti-Text Book

Author: Raghuvansh
Translator: Translator Two
Edition: 2008, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
₹65.00
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L-T-JEND
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प्रस्तुत पुस्तक जायसी साहित्य के अध्ययन-चिन्तन में एक नई दृष्टि की शुरुआत करती है। धर्म, दर्शन और आचरण की मूल्यपरक रचना-प्रक्रिया मानवीय संस्कृति की आन्तरिक प्रकृति है—इस ज्ञान के साथ उन्होंने पाया है कि इसी की अभिव्यक्ति मनुष्य की कलाओं और साहित्य में होती है।

प्रस्तुत पुस्तक के विभिन्न प्रकरणों में जायसी के जीवन, दार्शनिक चिन्तन, उनकी आध्यात्मिक दृष्टि, साधना की भाव-भूमि, मानवीय जीवन के सारे परिवेश के साथ उसके मूल्य प्रक्रिया के विविध पक्षों को विवेचित करने में लेखक ने सर्वथा नई दृष्टि से काम लिया है।

जायसी साहित्य के अध्येताओं के लिए डॉ. रघुवंश की यह पुस्तक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 2008, Ed. 4th
Pages 166p
Price ₹65.00
Translator Translator Two
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Raghuvansh

Author: Raghuvansh

रघुवंश

 

सुप्रसिद्ध सामाजिक-राजनीतिक चिन्तक प्रो. रघुवंश का जन्म 30 जून, 1921 को उत्तर प्रदेश के जिला हरदोई के गोपामऊ क़स्बे में श्रीराम सहाय के परिवार में हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी भाषा में एम.ए., डी.फ़िल. की उपाधि प्राप्त करने के बाद इसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में ही प्रवक्ता, रीडर, प्रोफ़ेसर (अध्यक्ष) रहकर हिन्दी भाषा, साहित्य के अध्ययन-अध्यापन में संलग्न रहे। सन् 1981 में सेवानिवृत्ति के उपरान्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की शोध-परियोजना के अन्तर्गत शिमला के उच्च अध्ययन संस्थान में ‘मानव संस्कृति का रचनात्मक आयाम’ विषय पर शोध-कार्य किया।

प्रमुख कृतियाँ : ‘छायातप’ (कहानी); ‘तन्तुजाल’, ‘अर्थहीन’, ‘वह अलग व्यक्ति’, ‘यह जो अनिवार्य’ (उपन्यास); ‘हरी घाटी’ (यात्रा वृत्तान्त); ‘मानव पुत्र ईसा’ (जीवनी); ‘प्रकृति और काव्य’, ‘साहित्य का नया परिप्रेक्ष्य’, ‘समसामयिकता और आधुनिक हिन्दी कविता’, ‘नाट्य-कला’, ‘कबीर : एक नई दृष्टि’, ‘जायसी : एक नई दृष्टि’, ‘आधुनिक कवि निराला’, ‘हिन्दी साहित्य की समस्याएँ’ (आलोचना); ‘जेल और स्वतंत्रता’, ‘सर्जनशीलता का आधुनिक सन्दर्भ’, ‘आधुनिक परिस्थिति और हम लोग’, ‘मानवीय संस्कृति का रचनात्मक आयाम’, ‘पश्चिमी भौतिक संस्कृति का उत्थान और पतन’ (चिन्तन)!

सम्पादन : ‘हिन्दी साहित्य कोश’ के दो भागों का सम्पादन, शोध-पत्रिकाओं ‘आलोचना’,

‘आलोचना समीक्षा’, ‘क ख ग’ तथा ‘अनुशीलन’ का सम्पादन।

सम्मान : वर्ष 2008 का मूर्तिदेवी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी-संस्थान का ‘भारत भूषण पुरस्कार’, के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन का ‘शंकर पुरस्कार’, बिहार सरकार का

‘जननायक कर्पूरी ठाकुर पुरस्कार’ तथा उ.प्र. सरकार का ‘साहित्य-भूषण सम्मान’।

निधन : सन् 2013

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