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Japani Sahitya Darshan

Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Japani Sahitya Darshan

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जापानी कथा साहित्य की बारह पुस्तकों की शृंखला की इस अन्तिम कड़ी में जापान के आधुनिक साहित्य का सर्वेक्षण प्रस्तुत किया गया है। साहित्यिक शैली, विधि और व्यवस्था पर जापान के बदलते सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक परिवेश तथा पाश्चात्य चिन्तन के प्रभाव में व्यक्तिवादी और लोकतांत्रिक मतों के प्रादुर्भाव के जटिल ताने–बाने की यह पहली साहित्यिक समीक्षा है। इसमें सवा सौ साल की साहित्यिक गतिविधियों का तटस्थ मूल्यांकन है और सत्तर साहित्यकारों के जीवन की झलकियाँ भी।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 147p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Unita Sachchidanand

उनीता सच्चिदानन्द

जन्म : 1959, ग्राम—बग्याली (पौड़ी, गढ़वाल)।

शिक्षा : एम.ए., एम.फ़िल्., पी-एच.डी. (जापानी भाषा एवं साहित्य), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय।

डॉ. उनीता सच्चिदानन्द दिल्ली विश्वविद्यालय के चीनी व जापानी अध्ययन विभाग में रीडर हैं। आधुनिक जापानी साहित्य व विधिवत् अध्ययन व शोध नारा महिला विश्वविद्यालय, जापान में सम्पन्न किया। सन् 1990 में जापानी सरकार की छात्र-वृत्ति एवं 1999 में जापान फ़ाउंडेशन फ़ेलोशिप पर जापान के कई विश्वविद्यालयों से सम्बन्धित डॉ. उनीता 1980 से लगातार हिन्दी बाल पत्रिकाओं के ज़रिए जापानी लोक व बाल-साहित्य हिन्दी में उपलब्ध कराती रही हैं। 1997 में ‘फूजी पहाड़ से’ जापानी लोककथाओं का सचित्र संग्रह (पाँच भागों में) और जापानी युवा कहानियों के तीन संग्रह राजकमल प्रकाशन द्वारा 1998 में प्रकाशित एवं भारतीय लोक व बाल-साहित्य के जापानी रूपान्तरण जापान में प्रकाशित।

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