प्रस्तुत लोककथा संग्रह में जहाँ जानवरों की कहानियाँ हैं, वहीं अध्यात्म और नैतिक मूल्यों से जुड़ी जापान की बहुचर्चित कथाएँ भी।

लेखिका ने स्वयं तोक्यो से दूर जापानी ग्रामीण क्षेत्रों में कहानियों की तलाश के दौरान परम्परागत जापानी कथा–वाचकों की दो कहानियाँ ‘एक एहसान बढ़ा पाँच मान’ और ‘बुज्जा का अंडा’ का अभिलेखन किया है।

‘लुढ़कता खड़ाऊँ’ में हँसी और मज़ाक़ का पुट है, तो ‘लोमड़ी की जपमाला’ में लोमड़ी और मनुष्य के बीच की हास्यास्पद लड़ाई।

सरल बाल–सुलभ भाषा में जापानी कथाओं का यह दूसरा भाग मनोरंजन के साथ बच्चों में नैतिक मूल्यों को स्थापित करने में सहायक होगा, ऐसी उम्मीद है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 76p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 0.5
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Author: Unita Sachchidanand

उनीता सच्चिदानन्द

जन्म : 1959, ग्राम—बग्याली (पौड़ी, गढ़वाल)।

शिक्षा : एम.ए., एम.फ़िल्., पी-एच.डी. (जापानी भाषा एवं साहित्य), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय।

डॉ. उनीता सच्चिदानन्द दिल्ली विश्वविद्यालय के चीनी व जापानी अध्ययन विभाग में रीडर हैं। आधुनिक जापानी साहित्य व विधिवत् अध्ययन व शोध नारा महिला विश्वविद्यालय, जापान में सम्पन्न किया। सन् 1990 में जापानी सरकार की छात्र-वृत्ति एवं 1999 में जापान फ़ाउंडेशन फ़ेलोशिप पर जापान के कई विश्वविद्यालयों से सम्बन्धित डॉ. उनीता 1980 से लगातार हिन्दी बाल पत्रिकाओं के ज़रिए जापानी लोक व बाल-साहित्य हिन्दी में उपलब्ध कराती रही हैं। 1997 में ‘फूजी पहाड़ से’ जापानी लोककथाओं का सचित्र संग्रह (पाँच भागों में) और जापानी युवा कहानियों के तीन संग्रह राजकमल प्रकाशन द्वारा 1998 में प्रकाशित एवं भारतीय लोक व बाल-साहित्य के जापानी रूपान्तरण जापान में प्रकाशित।

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