अंजानी और अपरिचित गन्धों से भरा हुआ है दृश्य से अदृश्य की यात्रा का यह मार्ग। फिर बँध ही जाते हैं पैरों में अनगिनत घूँघर किन्हीं सूक्ष्म रूपों में कि फिर जल उठते हैं चराग़ और प्रकाशित हो उठते हैं मार्ग उसी के परम आलोकों से। तब उस असीम से मिलन की चाह में उठते हैं हृदय में प्रार्थनाओं के तीक्ष्ण वेग और डूब जाती हैं आँखें आनंद के आँसुओं में। उसी अतिरेक और अहोभावों की असहाय-सी स्थितियों में तत्क्षण उतरने लगते हैं अस्तित्व के संगीत; उठते हैं जीवन के महाशिखर और उतरता है कोई काव्य अपनी त्वरा में रात-रानियों की सी गन्ध लिए।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2018 |
Edition Year | 2018, Ed. 1st |
Pages | 150P |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 2 |