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Hindi Sahitya Ka Doosara Itihas-Hard Cover

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‘हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास’ हिन्दी के मूर्द्धन्य आलोचक, चिन्तक डॉ. बच्चन सिंह की महत्त्वपूर्ण पुस्तक है।

उन्होंने भूमिका में लिखा है : ‘‘न तो आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ को लेकर दूसरा नया इतिहास लिखा जा सकता है और न उसे छोड़कर। नए इतिहास के लिए शुक्ल जी का इतिहास एक चुनौती है...।’’ किन्तु उन्होंने इस चुनौती को स्वीकारते हुए आगे लिखा : ‘‘रचनात्मक साहित्य पुराने पैटर्न को तोड़कर नया बनता है, तो साहित्य के इतिहास पर वह क्यों न लागू हो?’’ ‘हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास’ साहित्येतिहास के लेखन के परिप्रेक्ष्य में यही नया पैटर्न ईजाद करने का साहसिक प्रयास है।

लेखक ने पुस्तक के पहले संस्करण की भूमिका में इस नए पैटर्न की ऐतिहासिक अनिवार्यता को स्पष्ट करते हुए लिखा : ‘‘शुक्ल जी के इतिहास का संशोधित और परिवर्द्धित संस्करण सन् 1940 में छपा था। उसके प्रकाशन के बाद 50 वर्ष से अधिक का समय निकल गया। इस अवधि में अनेकानेक शोध-ग्रन्थ छपे, नई पांडुलिपियाँ उपलब्ध हुईं, ढेर-सा साहित्य लिखा गया। नया इतिहास लिखने के लिए यह सामग्री कम पर्याप्त और कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यह भी ध्यातव्य है कि शुक्ल जी का इतिहास औपनिवेशिक भारत में लिखा गया। अब देश स्वतंत्र है। उसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारतीय लोकतंत्र की अपनी समस्याएँ हैं। सांस्कृतिक-सामाजिक संघर्ष हैं, इन्हें देखने-समझने का बदला हुआ नज़रिया है। इस नए सन्दर्भ में यदि पिष्टपेषण नहीं करना है, तो नया इतिहास ही लिखा जाएगा।’’

यह 'दूसरा इतिहास’ इसी अर्थ में कुछ दूसरे ढंग से लिखा हुआ इतिहास है।

यह ग्रन्थ इतिहास की धारावाहिक निरन्तरता के साथ ही हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों और साहित्यिक कृतियों का मौलिक दृष्टि से मूल्यांकन प्रस्तुत करता है। इसके साथ ही डॉ. बच्चन सिंह ने अपने निजी दृष्टिकोण तथा साहित्यिक समझ के आधार पर इसमें बहुत कुछ नया जोड़ा है जो इस कृति को सच्चे अर्थों में हिन्दी साहित्य का विशिष्ट इतिहास प्रमाणित करता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1996
Edition Year 2023, Ed. 18th
Pages 536p
Price ₹1,295.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3.5
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Bachchan Singh

Author: Bachchan Singh

बच्चन सिंह

हिन्‍दी साहित्य का दूसरा इतिहास के रूप में हिन्‍दी को एक अनूठा आलोचना-ग्रन्‍थ देनेवाले बच्चन सिंह का जन्म 2 जुलाई, 1919 को जिला जौनपुर के मदवार गाँव में हुआ था।

शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में हुई।

आलोचना के क्षेत्र में आपका योगदान इन पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है : क्रान्तिकारी कवि निराला, नया साहित्य, आलोचना की चुनौती, हिन्दी नाटक, रीतिकालीन कवियों की प्रेम-व्यंजना, बिहारी का नया मूल्यांकन, आलोचक और आलोचना, आधुनिक हिन्दी आलोचना के बीज शब्द, साहित्य का समाजशास्त्र और रूपवाद, आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास, भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन तथा हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास।

कथाकार के रूप में आपने लहरें और कगार, सूतो व सूतपुत्रो वा (उपन्यास) तथा कई चेहरों के बाद (कहानी-संग्रह) की रचना की। लगभग एक दशक तक प्रचारिणी पत्रिका के सम्‍पादक रहे।

निधन : 5 अप्रैल, 2008

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