Hindi Aalochana Ka Vikas-Text Book

Author: Madhuresh
₹195.00
ISBN:9789393603890
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9789393603890
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मधुरेश की प्रस्तुत पुस्तक ‘हिन्दी आलोचना का विकास’ सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही आलोचना की मुख्य प्रवृत्तियों और आलोचकों के मूल्यांकन का प्रयास करती है। हिन्दी आलोचना में लोगों के अपने कुछ प्रिय आलोचक और युग रहे हैं।

मधुरेश वस्तुनिष्ठ और विश्वसनीय रूप में समूची हिन्दी आलोचना और आलोचकों का मूल्यांकन करते हैं। न उनका कोई प्रिय युग है, न ही आलोचक। वे सदैव सामाजिक विकास के सन्दर्भ में आलोचना को देखते-परखते हैं और कैसी भी चयनवादी दृष्टि से बचते हैं। हिन्दी में मार्क्सवादी और समकालीन आलोचना पर कदाचित् पहली बार यहाँ इतने सम्पूर्ण रूप में विचार हुआ है।

प्रस्तुत पुस्तक हिन्दी आलोचना और आलोचकों के लिए अनिवार्य और उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Edition Year 2021
Pages 301p
Price ₹195.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1.5
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Madhuresh

Author: Madhuresh

मधुरेश

जन्म : 10 जनवरी, 1939 को बरेली में एक निम्न-मध्यवित्त परिवार में हुआ। उनकी सारी पढ़ाई वहीं हुई। बरेली कॉलेज, बरेली से अंग्रेज़ी और हिन्दी में एम.ए.। कुछ वर्ष अंग्रेज़ी पढ़ाने के बाद लगभग तीस वर्ष शिवनारायण दास पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, बदायूँ के हिन्दी विभाग में अध्यापन। 30 जून, 1999 को सेवानिवृत्त होकर पूरी तरह साहित्य में सक्रिय।
प्रकाशित प्रमुख कृतियाँ : ‘आज की हिन्दी कहानी : विचार और प्रतिक्रिया’, ‘यशपाल के पत्र’, ‘सिलसिला : समकालीन कहानी की पहचान’, ‘क्रान्तिकारी यशपाल : एक समर्पित व्यक्ति’ (सं.), ‘देवकीनन्दन खत्री’ (साहित्य अकादेमी के लिए), ‘सम्प्रति : समकालीन हिन्दी उपन्यास में संवेदना और सरोकार’, ‘रांगेय राघव’ (साहित्य अकादेमी के लिए), ‘राहुल का कथा-कर्म’, ‘हिन्दी कहानी का विकास’, ‘हिन्दी कहानी : अस्मिता की तलाश’, ‘हिन्दी उपन्यास का विकास’, ‘नई कहानी : पुनर्विचार’, ‘यह जो आईना है’ (संस्मरण); ‘परिवेश' के आलोचक प्रकाश चन्द्र गुप्त पर केन्द्रित अंक के अतिथि सम्पादक, ‘अमृतलाल नागर : व्यक्तित्व और रचना संसार’, ‘भैरव प्रसाद गुप्त’ (साहित्य अकादेमी के लिए), ‘मैला आँचल का महत्त्व’ (सं.), ‘दिव्या का महत्त्व’, ‘और भी कुछ’, ‘हिन्दी उपन्यास : सार्थ की पहचान’, ‘यशपाल के पत्र’, ‘कहानीकार जैनेन्द्र कुमार : पुनर्विचार’, ‘हिन्दी आलोचना का विकास’, ‘मेरे अपने रामविलास’, ‘भारतीय लेखक : यशपाल’ पर केन्द्रित विशेषांक के अतिथि सम्पादक, ‘यशपाल रचना संचयन’ (सं.) (साहित्य अकादेमी के लिए), ‘यशपाल : रचनात्मक पुनर्वास की एक कोशिश’, ‘बाणभट्ट की आत्मकथा : पाठ और पुनर्पाठ’ (सं), ‘यशपाल रचनावली की भूमिकाएँ’, ‘मार्क्सवादी आलोचना और फणीश्वरनाथ रेणु’ (सं.), ‘जुझार तेजा : लज्जाराम मेहता’ (सं.) ‘रजिया सुल्ताना बेग़म उर्फ़ रंग-महल में हालाहल : किशोरीलाल गोस्वामी’ (सं.), ‘अश्क के पत्र’, ‘सौन्दर्योपासक ब्रजनन्दन सहाय’ (सं.)।
सम्मान : ‘समय माजरा सम्मान’, राजस्थान (2004); ‘गोकुलचन्द्र शुक्ल आलोचना पुरस्कार’, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल शोध संस्थान, वाराणसी (2004); राज्यपाल/कुलाधिपति द्वारा महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय की कार्य परिषद् में नामित (2009)।

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