Garden Party Aur Anya Kahaniyan

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Garden Party Aur Anya Kahaniyan
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कैथरीन के एक अधूरे उपन्यास का एक अंश है : “इस जीवन को जियो, जूलियट। क्या शॉपेन अपनी आकांक्षाओं को, अपनी नैसर्गिक इच्छाओं को पूरा करने से डरा था? नहीं, इसीलिए वह इतना महान है। तुम ठीक उसी चीज़ को अपने से दूर क्यों कर रही हो जिसकी तुम्हें ज़रूरत है—परम्पराओं की वजह से? अपनी नैसर्गिकता को इस तरह बौना क्यों बनाती हो, क्यों अपना जीवन बरबाद करती हो?...तुमने उन सबसे आँखें मूँद ली हैं, कान बन्द कर लिए हैं जिसके लिए कोई इनसान जी सकता है।’’ जीने के लिए यह उद्बोधन, परम्पराओं और रूढ़ियों का विरोध, यह विचार कि भविष्य अपनी इच्छाओं से भी बनता है, यह मैन्सफ़ील्ड के लेखन का केन्द्रीय तत्त्व है। यहाँ जो बातें सपाट ढंग से कह दी गई हैं, आगे अपनी कहानियों के ताने-बाने में इस सोच के धागों को करीने से बुनना उसने सीख लिया। सामाजिक यथार्थ, कमज़ोरी के प्रति सहानुभूति और बाद के दौर में, अन्तश्चेतना पर ज़ोर उसकी कहानियों का मूल तत्त्व है। उसके सभी कहानी-संग्रहों का रूसी तथा सोवियत संघ की अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ और वह वहाँ बेहद लोकप्रिय रहीं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 196p
Translator Shahid Akhtar
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Katherine Mansfield

Author: Katherine Mansfield

कैथरीन मैन्सफ़ील्ड

जन्‍म : 14 अक्‍टूबर, 1888

कैथरीन मैन्सफ़ील्ड ने बीसवीं शताब्दी की अंग्रेज़ी कहानी को एक नई शैली दी। मनोवैज्ञानिक द्वन्द्वों-टकरावों पर केन्द्रित उनकी कहानियों में सूक्ष्म प्रेक्षण और आम लोगों के जीवन में प्रवेश करने की ऐसी कला दिखाई देती है जो चेख़व की याद दिलाती है। कथानक और अन्त से मुक्त उनकी अधिकांश कहानियाँ आन्तरिक जीवन के विस्तार, भावनाओं की काव्यात्मकता और व्यक्तित्व के गोपन-अगोपन पहलुओं को उभारने की दृष्टि से अप्रतिम स्थान रखती हैं।

निधन : 9 जनवरी, 1923

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