Devi Ke DPT Banane Ki Kahani

Author: Pushpesh Pant
Translator: Vandana Mishra
Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Devi Ke DPT Banane Ki Kahani

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देवी प्रसाद त्रिपाठी के रूप में छात्र सक्रियतावादी का अपना सफ`र शुरू करनेवाले डीपीटी ने जे.एन.यू छात्रसंघ के इतिहास में सबसे लम्बी अवधि तक अध्यक्ष-पद पर बने रहने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने 1973 में श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा थोपे गए बदनाम आपातकाल के दौरान इस विश्वविद्यालय में एक गौरवपूर्ण प्रतिरोध-आन्दोलन का नेतृत्व किया। परिसर में आज भी उनकी एक नायक की छवि बनी हुई है। डीपीटी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री राजीव गांधी के विश्वासपात्र और घनिष्ठ सहयोगी थे। मीडिया उनका उल्लेख मानव कम्प्यूटर के रूप में करता था। डीपीटी ने विदेशों में पचास से अधिक विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए हैं और कुछ समय इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाया भी।

राज्यसभा के सदस्य रहे डीपीटी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के महासचिव और प्रमुख प्रवक्ता रहे। वह विचार न्यास के संस्थापक और विचार प्रधान पत्रिका ‘थिंक इंडिया क्वार्टरली’ के मुख्य सम्पादक भी थे।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Vandana Mishra
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20.5 X 13.5 X 1.5
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Pushpesh Pant

Author: Pushpesh Pant

पुष्पेश पंत

 

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान में राजनय के प्रोफ़ेसर। चार दशकों तक अध्यापन के बाद अवकाश प्राप्त। उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय अध्ययन संस्थान में छात्रों की दो पीढ़ियों को पढ़ाने के अबाधित दौर का पूरा लुत्फ उठाया।

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