Coronary Hridaya Rog : Bachav Aur Upchar Ki Raah

Edition: 2010, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Coronary Hridaya Rog : Bachav Aur Upchar Ki Raah
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जीवन का सुर-संगीत दिल की धड़कनों में ही बसा है। ये धड़कनें ताज़िन्दगी मज़बूत बनी रहें, यह मंगल प्रार्थना पूरी करने के लिए जीवन में थोड़ा संयम, थोड़ा अनुशासन गूँथना ज़रूरी है। जब तक स्वस्थ जीवन-पद्धति न अपनाई जाए, उम्र बढ़ने के साथ और कभी कम उम्र में ही कोरोनरी धमनियों में सँकरापन आना स्वाभाविक है। ऐंजाइना और दिल का दौरा इसी की देन हैं। हृदय रोग से सम्बन्धित नवीनतम जानकारियाँ तथा बचाव और उपचार के व्यावहारिक पहलुओं को सरल- सुबोध शैली में प्रस्तुत करती यह कृति न सिर्फ़ रोगी और उसके परिवारजन बल्कि हर किसी के लिए पठनीय और उपयोगी है। ऐंजाइना क्या है, दिल का दौरा क्यों पड़ता है, किन-किन चीज़ों से दिल बीमार पड़ता है, दिल के बचाव के क्या उपाय हैं, कोलेस्टेरॉल को कैसे कम कर सकते हैं, अपने हृदय का भविष्यफल जानने के लिए क्या सूत्र लगाएँ, कोरोनरी ऐंजियोप्लास्टी में क्या करते हैं, बायपास ऑपरेशन कैसे हृदय को नया जीवन देता है, दिल के विभिन्न टेस्ट कैसे किए जाते हैं और उनकी क्या उपयोगिता है, आदि की जानकारी देती पुस्तक।
More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2004
Edition Year 2010, Ed. 2nd
Pages 48p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 0.5
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Yatish Agarwal

Author: Yatish Agarwal

डॉ यतीश अग्रवाल

एम.बी.बी.एस., एम.डी., डी.एस.सी.

जन्म: 20 जून, 1959; बरेली (उ.प्र.)। आरम्भिक शिक्षा दिल्ली एवं लखनऊ में। आयुर्विज्ञान की उच्चतर शिक्षा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली; बल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली; किंग्जवे कैंप टी.बी. अस्पताल, दिल्ली और सफदरजंग अस्पताल से। दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन। 1998 में फ़ाउंडेशन फ़ॉर डिटेक्शन ऑफ़ अर्ली गैस्ट्रिक कार्सिनोमा, जापान के तत्त्वावधान में अन्‍तरराष्ट्रीय फ़ेलोशिप और नेशनल कैंसर सेंटर हॉस्पिटल, टोक्यो में उच्चतर प्रशिक्षण। विज्ञान परिषद्, इलाहाबाद से 1999 में विज्ञान वाचस्पति (डॉक्टर ऑफ साइंस) की उपाधि। सम्प्रति, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सक।

डॉ. अग्रवाल देश में स्वास्थ्य और जनप्रिय आयुर्विज्ञान साहित्य के प्रमुख रचनाकारों में से हैं। सन् 1980 से उनके स्तम्भ और लेख-चिन्तन देश के प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी-अंग्रेज़ी दैनिकों और पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते आ रहे हैं। उन्होंने बच्चों, किशोरों और नवसाक्षरों के लिए भी प्रचुर रूप से लिखा है और रेडियो-टेलीविज़न के लिए भी सीरियलों का अभिकल्पन और लेखन किया है।

उनके कॉलम ‘स्वास्थ्य सुलझन’ (गृहशोभा), ‘ओपीडी’ (हिन्दुस्तान) और ‘सैकेंड ओपिनियन’ (हिन्दुस्तान टाइम्स) पाठकों के बीच अत्यन्‍त लोकप्रिय हैं। उनके पूर्व-प्रकाशित कॉलमों में ‘परामर्श’, ‘दस सवाल’, ‘स्वास्थ्य परिक्रमा’, ‘चेक आउट’, ‘एक्सप्रेस क्रुसेड फ़ॉर हेल्थ’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनकी बहुत-सी पुस्तकें बेस्टसेलर साबित होने के बाद अब हिन्दी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ देश की अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। अपने कृतित्व के लिए डॉ. अग्रवाल भारत सरकार के ‘शिक्षा पुरस्कार’ (2003), ‘साहित्यकार सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, 2003), ‘आत्माराम सम्मान’ (1999), ‘राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार’ (1999), ‘मेघनाद साहा सम्मान’ (1991, ’92, ’93) और स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ (1994, ’95, ’97) से अलंकृत किए जा चुके हैं।

डॉ. अग्रवाल देश के उन चुनिन्‍दा चिकित्सकों में हैं जो अस्पताल के बाहर भी देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति मन-प्राण से समर्पित हैं।

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