भोजन हमारे जीवन का भी आधार है, और सेहत का भी। उसी से यह शरीर बनता है, हमें शक्ति मिलती है और हम हृष्ट-पुष्ट रह पाते हैं। स्वस्थ तन और मन के लिए क्या खाएँ, कितना खाएँ, किस खाद्य-पदार्थ में कौन-सा पोषक तत्त्व है, विटामिन और खनिज हमें किस-किस भोजन से मिलते हैं, उनकी शरीर को कितनी ज़रूरत है, यह कृति जीवन से जुड़े इन सभी बुनियादी पक्षों पर बेहद सरल और व्यावहारिक जानकारी प्रस्तुत करती है।
रसोईघर में कौन सी छोटी-छोटी सावधानियाँ बरतने से फल-सब्जि़यों, चावल और दूसरे भोजनों के पौष्टिक गुण नष्ट नहीं होते, शुद्ध दूध और स्प्रेटा दूध के बीच क्या अन्तर है, फलों के छिलकों में क्या पौष्टिक गुण हैं जैसे विविध विषयों पर इस कृति में अद्यतन जानकारी उपलब्ध है।
पुस्तक में कोलेस्टेरॉल के बारे में उपयोगी जानकारी है और उसे सुधारने के सरल नुस्खे भी हैं। साथ ही, डायबिटीज, हृदय रोग, गाउट, गुर्दे की पथरी, कलेजे में जलन, दूध की एलर्जी जैसे विविध रोगों में अमल में लाए जानेवाले आहार सम्बन्धी परहेज़ भी दिए गए हैं। हमारे रोज़मर्रा के जीवन में किस-किस तरह से मिलावट होती है और उससे हमें क्या-क्या नुकसान पहुँचता है, ‘स्वस्थ खाएँ तनमन जगाएँ’ इस सम्बन्ध में भी हमें सावधान करती है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2004 |
Edition Year | 2025, Ed. 4th |
Pages | 52p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 0.5 |
Author: Yatish Agarwal
डॉ यतीश अग्रवाल
एम.बी.बी.एस., एम.डी., डी.एस.सी.
जन्म: 20 जून, 1959; बरेली (उ.प्र.)। आरम्भिक शिक्षा दिल्ली एवं लखनऊ में। आयुर्विज्ञान की उच्चतर शिक्षा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, दिल्ली; बल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली; किंग्जवे कैंप टी.बी. अस्पताल, दिल्ली और सफदरजंग अस्पताल से। दिल्ली विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन। 1998 में फ़ाउंडेशन फ़ॉर डिटेक्शन ऑफ़ अर्ली गैस्ट्रिक कार्सिनोमा, जापान के तत्त्वावधान में अन्तरराष्ट्रीय फ़ेलोशिप और नेशनल कैंसर सेंटर हॉस्पिटल, टोक्यो में उच्चतर प्रशिक्षण। विज्ञान परिषद्, इलाहाबाद से 1999 में विज्ञान वाचस्पति (डॉक्टर ऑफ साइंस) की उपाधि। सम्प्रति, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में वरिष्ठ चिकित्सक।
डॉ. अग्रवाल देश में स्वास्थ्य और जनप्रिय आयुर्विज्ञान साहित्य के प्रमुख रचनाकारों में से हैं। सन् 1980 से उनके स्तम्भ और लेख-चिन्तन देश के प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी-अंग्रेज़ी दैनिकों और पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते आ रहे हैं। उन्होंने बच्चों, किशोरों और नवसाक्षरों के लिए भी प्रचुर रूप से लिखा है और रेडियो-टेलीविज़न के लिए भी सीरियलों का अभिकल्पन और लेखन किया है।
उनके कॉलम ‘स्वास्थ्य सुलझन’ (गृहशोभा), ‘ओपीडी’ (हिन्दुस्तान) और ‘सैकेंड ओपिनियन’ (हिन्दुस्तान टाइम्स) पाठकों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय हैं। उनके पूर्व-प्रकाशित कॉलमों में ‘परामर्श’, ‘दस सवाल’, ‘स्वास्थ्य परिक्रमा’, ‘चेक आउट’, ‘एक्सप्रेस क्रुसेड फ़ॉर हेल्थ’ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। उनकी बहुत-सी पुस्तकें बेस्टसेलर साबित होने के बाद अब हिन्दी और अंग्रेज़ी के साथ-साथ देश की अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध हैं। अपने कृतित्व के लिए डॉ. अग्रवाल भारत सरकार के ‘शिक्षा पुरस्कार’ (2003), ‘साहित्यकार सम्मान’ (हिन्दी अकादमी, 2003), ‘आत्माराम सम्मान’ (1999), ‘राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार’ (1999), ‘मेघनाद साहा सम्मान’ (1991, ’92, ’93) और स्वास्थ्य मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’ (1994, ’95, ’97) से अलंकृत किए जा चुके हैं।
डॉ. अग्रवाल देश के उन चुनिन्दा चिकित्सकों में हैं जो अस्पताल के बाहर भी देशवासियों के स्वास्थ्य के प्रति मन-प्राण से समर्पित हैं।
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