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Chiwar-Hard Cover

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9788171199112
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उपन्यासकार रांगेय राघव ने ‘सीधा सादा रास्ता’ और ‘कब तक पुकारूँ’ जैसे समकालीन विषय-वस्तु पर आधारित उपन्यासों के साथ ऐतिहासिक उपन्यासों से भी हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया है। अपनी मार्क्सवादी विश्व-दृष्टि के आधार पर वे प्रत्येक विषय को अपने ख़ास नज़रिए से चित्रित करते हैं।

‘चीवर’ उनके प्रमुखतम ऐतिहासिक उपन्यासों में से एक है। इसमें उन्होंने हर्षवर्धन काल के पतनशील भारतीय सामन्तवाद को रेखांकित किया है। ब्राह्मण और बौद्ध मतों के परस्पर संघर्ष के साथ-साथ मालव गुप्तों, वर्धनों और मौखरियों के बीच राजनीतिक सत्ता के लिए होनेवाला संघर्ष भी हमें यहाँ दिखाई देता है।

भाषा के स्तर पर यह उपन्यास सिद्ध करता है कि शब्दावली अगर घोर तत्समप्रधान हो तब भी उसमें रस की सर्जना की जा सकती है—बशर्ते लेखनी किसी समर्थ रचनाकार के हाथ में हो। यह इस उपन्यास की प्रवहमान भाषा का ही कमाल है कि इसमें विचरनेवाले पात्र, वह चाहे राज्यश्री हो या हर्षवर्धन या कोई और हमारी स्मृति पर अंकित हो जाते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2004
Edition Year 2025, Ed. 3rd
Pages 180p
Price ₹695.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Rangeya Raghav

Author: Rangeya Raghav

रांगेय राघव

जन्म: 17 जनवरी, 1923; आगरा। मूल नाम : टी.एन.वी. आचार्य (तिरुमल्लै नंबकम् वीरराघव आचार्य)।

शिक्षा : आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1949 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पीएच.डी.। हिन्दी, अंग्रेज़ी, ब्रज और संस्कृत पर असाधारण अधिकार।

कृतियाँ : 13 वर्ष की आयु में लिखना शुरू किया। 1942 में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद एक रिपोर्ताज लिखा—‘तूफ़ानों के बीच’।

मात्र 30 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, संस्कृति और सभ्यता पर कुल मिलाकर 150 से अधिक पुस्तकें लिखीं।

सम्मान : ‘हिन्दुस्तानी अकादमी पुस्कार’ (1947), ‘डालमिया पुरस्कार’ (1954), ‘उत्तरप्रदेश शासन पुरस्कार’ (1957 तथा 1959) और मरणोपरांत ‘महात्मा गांधी पुरस्कार’ (1966) से सम्मानित।

निधन : 12 सितम्बर, 1962 को बम्बई में।

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