चित्रकला कविता के देशे पुस्तक का ढाँचा भ्रमण-वृत्तान्त का है किन्तु, विधागत रूढ़ अर्थों में यह यात्रा वृत्तान्त नहीं है। दरअसल सुनील गंगोपाध्याय को असल में अपनी युवावस्था में आयोवा विश्वविद्यालय में आयोजित कविता कार्यशाला में नौ मास रहने की वृत्ति मिली थी। यह आमंत्रण प्रसिद्ध कवि पॉल ऐजेल की ओर से मिला था। उस दौरान वहाँ के कवियों, चित्रकारों, संगीतज्ञों, नाटककारों, नर्तकियों से उनकी जो भेंट हुई, इस पुस्तक में उन्हीं का वर्णन है।
किसी ने कहा है, हर शिल्पी की दो मातृभूमियाँ होती हैं, एक उसका अपना देश और दूसरा फ़्रांस। शिल्पी सिर्फ़ चित्रकार श्रेणी का नहीं है, कवि भी उसी में आते हैं। फ़्रांस में जैसे देगा, माने, मोने, रेनोया, गोगा, मोतिस रूयो अथवा पिकासो जैसे महान चित्रकार थे, वैसे ही यहाँ रिम्बो, वेर्लेन, बोदलेयर, मालार्मे, वेलरी, अपोलिनियर और ऑरि मिसोर जैसे कवि भी हुए हैं। इसलिए फ़्रांस ही ऐसा देश है जिसकी आत्मा का अगर वर्णन किया जाए तो उसमें चित्रकला और कविता का संसार आना अनिवार्य है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2014 |
Edition Year | 2014, Ed. 1st |
Pages | 304p |
Translator | Ramshankar Dwivedi |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 2 |