प्रेम नहीं, स्नेह कमाल नामक एक ऐसे आदमी की कहानी है, जो बाहर से बहुत मस्तमौला होने के बावजूद अपने अन्तर में हाहाकार छुपाए हुए है। एक ओर उसे अपने व्यवसाय में आर्थिक तंगी से गुज़रना पड़ रहा है, दूसरी ओर वह अपनी नव-विवाहिता पत्नी के विश्वासघात से आहत है। वह लगभग विक्षिप्त हो जाता है। इस बिन्दु पर किसी भी परम्परागत उपन्यास का नायक टूटकर बिखर जाता, शराब के नशे में ग़र्क़ हो जाता या फिर आत्महत्या कर लेता। लेकिन वह बराबर अपनी कमज़ोरियों और दारुण परिस्थितियों से लड़ता है और उन पर विजय प्राप्त करता है। इस उपन्यास की शक्ति और विशेषता वस्तुतः इसी लड़ाई में निहित है। उसका जीवन इस बात का साक्षी है कि ग़म ग़लत करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन ज़रूरी नहीं, बल्कि जीवन की सक्रियता में अपने आपको डुबोकर जो सुख प्राप्त किया जा सकता है, वह और किसी भी नशे में सम्भव नहीं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 1987 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 134p |
Translator | Dilip Kumar Banerjee |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 20.5 X 13.5 X 1.5 |