Prem Nahin, Sneh

Translator: Dilip Kumar Banerjee
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Prem Nahin, Sneh
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प्रेम नहीं, स्नेह कमाल नामक एक ऐसे आदमी की कहानी है, जो बाहर से बहुत मस्तमौला होने के बावजूद अपने अन्तर में हाहाकार छुपाए हुए है। एक ओर उसे अपने व्यवसाय में आर्थिक तंगी से गुज़रना पड़ रहा है, दूसरी ओर वह अपनी नव-विवाहिता पत्नी के विश्वासघात से आहत है। वह लगभग विक्षिप्त हो जाता है। इस बिन्दु पर किसी भी परम्परागत उपन्यास का नायक टूटकर बिखर जाता, शराब के नशे में ग़र्क़ हो जाता या फिर आत्महत्या कर लेता। लेकिन वह बराबर अपनी कमज़ोरियों और दारुण परिस्थितियों से लड़ता है और उन पर विजय प्राप्त करता है। इस उपन्यास की शक्ति और विशेषता वस्तुतः इसी लड़ाई में निहित है। उसका जीवन इस बात का साक्षी है कि ग़म ग़लत करने के लिए नशीले पदार्थों का सेवन ज़रूरी नहीं, बल्कि जीवन की सक्रियता में अपने आपको डुबोकर जो सुख प्राप्त किया जा सकता है, वह और किसी भी नशे में सम्भव नहीं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1987
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 134p
Translator Dilip Kumar Banerjee
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20.5 X 13.5 X 1.5
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Sunil Gangopadhyay

Author: Sunil Gangopadhyay

सुनील गंगोपाध्याय

शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए.।

लेखन की शुरुआत कविताओं से हुई। 'कृत्तिवास’ पत्रिका के संस्थापक-सम्पादक। पहला उपन्यास 'आत्मप्रकाश’ जो 'देश’ पत्रिका के शारदीय विशेषांक में छपा।

पहला कविता-संग्रह ‘एका एवं कयेकजन’ (अकेले एवं कई लोग)। बच्चों के लेखक के रूप में भी उतने ही लोकप्रिय।

‘नील लोहित’ के नाम से भी काफ़ी लिखा। 'सनातन पाठक’ तथा 'नील उपाध्याय’ आपके दो और लेखकीय छद्म नाम हैं।

राजकमल प्रकाशन समूह से हिन्दी में प्रकाशित आपकी कृतियाँ हैं : ‘सुदूर झरने के जल में’, ‘छविगृह में अँधेरा है’, ‘रानू और भानु’, ‘स्नेह वर्षा’, ‘बीता काल’, ‘चित्रकला कविता के देशे’।

सम्मान : ‘आनन्द पुरस्कार’ दो बार प्राप्त। सन् 1983 में ֹ‘बंकिम पुरस्कार’। सन् 1985 में 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, सन् 2004 में ‘सरस्वती सम्मान’।

निधन : 23 अक्टूबर, 2012

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