Neera Ke Liye

Translator: Soma bandyopadhyay
Edition: 2014, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Neera Ke Liye

सुनील गंगोपाध्याय के देहावसान के बाद विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने एक कविता लिखी—‘पत्र जिसे पढ़नेवाला चला गया’। इसकी पंक्तियाँ हैं—‘कौन जाने नीरा का पत्र हो जिसके लिए लिखता रहा वह कविताएँ और कविताएँ और कविताएँ।’

सुनील गंगोपाध्याय की रचनाशीलता में 'नीरा' का एक विचित्र स्थान है। एक साथ ऐन्द्रिक और अतीन्द्रिय। 'नीरा के लिए' कविता-संग्रह में इसका अनुभव किया जा सकता है। प्रस्तुत कविता-संग्रह की भूमिका में सुनील गंगोपाध्याय स्वीकारते हैं, “...तमाम बीते बरसों में नीरा बार-बार घूम-फिरकर आती रही मेरी कविता में। मेरी उम्र ढल रही है पर नीरा आज भी किसी स्थिर चित्र की तरह ‘नव-यौवना’ है। मैं उसे रक्त-मांस की मानवी बनाकर रखना चाहता हूँ पर कभी-कभी अचानक से वह प्रवेश कर जाती है शिल्प की सीमाओं के भीतर।

मैं उसे फिर वापस ले आना चाहता हूँ, उसके पाँव में काँटे चुभ जाते हैं, उसकी आँखों में अश्रु झिलमिलाने लगते हैं। यह दूरी, साथ ही यह आलिंगन की निकटता, नीरा के साथ यह खेल चलता ही रहा है जीवन-भर।”

मूलत: बांग्ला में लिखी इन कविताओं का सोमा बंद्योपाध्याय द्वारा किया गया यह अनुवाद मौलिक आस्वाद प्रदान करता है। आसक्ति व अनासक्ति के बीच विचरण करती अद्भुत कविताओं का प्रीतिकर संग्रह।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 80p
Translator Soma bandyopadhyay
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Sunil Gangopadhyay

Author: Sunil Gangopadhyay

सुनील गंगोपाध्याय

जन्म : 7 सितम्बर, 1934

शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए.।

लेखन की शुरुआत कविताओं से हुई। 'कृत्तिवास’ पत्रिका के संस्थापक-सम्पादक। पहला उपन्यास 'आत्मप्रकाश’ जो 'देश’ पत्रिका के शारदीय विशेषांक में छपा।

पहला कविता-संग्रह ‘एका एवं कयेकजन’ (अकेले एवं कई लोग)। बच्चों के लेखक के रूप में भी उतने ही लोकप्रिय।

‘नील लोहित’ के नाम से भी काफ़ी लिखा। 'सनातन पाठक’ तथा 'नील उपाध्याय’ आपके दो और लेखकीय छद्म नाम हैं।

राजकमल प्रकाशन समूह से हिन्दी में प्रकाशित आपकी कृतियाँ हैं : ‘सुदूर झरने के जल में’, ‘छविगृह में अँधेरा है’, ‘रानू और भानु’, ‘स्नेह वर्षा’, ‘बीता काल’, ‘चित्रकला कविता के देशे’।

सम्मान : ‘आनन्द पुरस्कार’ दो बार प्राप्त। सन् 1983 में ֹ‘बंकिम पुरस्कार’। सन् 1985 में 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, सन् 2004 में ‘सरस्वती सम्मान’।

निधन : 23 अक्टूबर, 2012

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