Chhavigriha Mein Andhera Hai

Translator: Sushil Gupta
Edition: 2005, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Chhavigriha Mein Andhera Hai

बंगला-साहित्य के मूर्धन्य रचनाकार सुनील गंगोपाध्याय की यह कृति उनके महत्त्वपूर्ण औपन्यासिक रचनाओं में शुमार है। इसमें दो परिवारों की कहानी समानान्तर धाराओं में चलती है। एक परिवार पूँजीपति शिवशंकर लाहिड़ी का है जिसने अपने एक सिनेमा हॉल को अपनी ज़िद के कारण बन्द कर दिया है और हड़ताली कर्मचारियों के आगे झुकने को किसी भी हालत में तैयार नहीं है। दूसरी कहानी उसी सिनेमा हॉल के एक कर्मचारी रमेश मुखर्जी के परिवार की है जो इस हड़ताल के कारण खाने-पीने की बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज है। लेकिन विडम्बना यह है कि दोनों के बेटे अपने-अपने पिताओं से झगड़ा करके अलग रह रहे हैं। लेखक ने इस दोनों परिवारों की स्थितियों के तनाव को इतने संवेदनशील रूप से रचा है कि वह पाठकों में एक रचनात्मक बेचैनी भर देता है।

इन दोनों परिवारों की कहानियों के बीच धीमी मगर विरल लय में एक प्रेम कहानी की अन्तःसलिल धारा बढ़ रही है जो मीठी आँच की तरह प्यारी और सुखद लगती है।

स्थितियों, चरित्रों और घटनाओं का रचनात्मक संयोजन पाठकों को अपने बहाव में इस तरह लिए चलता है कि पाठक इस कृति को एक ही बैठक में पूरा पढ़ जाना चाहेंगे, ऐसा हमारा विश्वास है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 104p
Translator Sushil Gupta
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Chhavigriha Mein Andhera Hai
Your Rating
Sunil Gangopadhyay

Author: Sunil Gangopadhyay

सुनील गंगोपाध्याय

जन्म : 7 सितम्बर, 1934

शिक्षा : कोलकाता विश्वविद्यालय से एम.ए.।

लेखन की शुरुआत कविताओं से हुई। 'कृत्तिवास’ पत्रिका के संस्थापक-सम्पादक। पहला उपन्यास 'आत्मप्रकाश’ जो 'देश’ पत्रिका के शारदीय विशेषांक में छपा।

पहला कविता-संग्रह ‘एका एवं कयेकजन’ (अकेले एवं कई लोग)। बच्चों के लेखक के रूप में भी उतने ही लोकप्रिय।

‘नील लोहित’ के नाम से भी काफ़ी लिखा। 'सनातन पाठक’ तथा 'नील उपाध्याय’ आपके दो और लेखकीय छद्म नाम हैं।

राजकमल प्रकाशन समूह से हिन्दी में प्रकाशित आपकी कृतियाँ हैं : ‘सुदूर झरने के जल में’, ‘छविगृह में अँधेरा है’, ‘रानू और भानु’, ‘स्नेह वर्षा’, ‘बीता काल’, ‘चित्रकला कविता के देशे’।

सम्मान : ‘आनन्द पुरस्कार’ दो बार प्राप्त। सन् 1983 में ֹ‘बंकिम पुरस्कार’। सन् 1985 में 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, सन् 2004 में ‘सरस्वती सम्मान’।

निधन : 23 अक्टूबर, 2012

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top