Chhayawad : Sau Sal Baad

Author: P. Ravi
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Chhayawad : Sau Sal Baad
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यह सच है कि इस सामाजिक यथार्थ से प्रारम्भिक दौर की छायावादी कविता तालमेल नहीं रखती है। रचना और आलोचना का प्राथमिक सरोकार मानव जीवन और समय से होता है। लेकिन काव्य-भाषा के रूप में खड़ीबोली को समृद्ध करना तत्कालीन चुनौती रही थी, जिसे नजरअन्दाज नहीं कर सकते थे। जहाँ जीवन की समग्रता का सवाल उठता है, वहाँ भी प्राथमिकता पर ध्यान देना होगा। अपने समय और समाज से छायावादी कवि पलायन नहीं करना चाहते थे इसलिए वे जल्दी समय की माँग की पहचान करने लगे, और धीरे-धीरे नवजागरण और स्वतंत्रता आन्दोलन पर ही नहीं बल्कि मानव-जीवन और सम्पूर्ण विश्व-प्रकृति पर मारक आघात करनेवाली आधुनिक सभ्यता तथा प्रभुवर्ग के सत्तामोह पर भी अपना ध्यान केन्द्रित करने लगे। इस तरह छायावादी कवि अपने ही इतिहास तथा परम्परा से सांस्कृतिक एवं नैतिक बल प्रदान करते रहें जिससे समाज आत्मसम्मान से भर उठे। छायावाद का प्रकृति चित्रण कहीं-कहीं आधुनिक पारिस्थितिक विमर्श की भी नींव डाल रहा था।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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P. Ravi

Author: P. Ravi

पी. रवि

जन्म : 1960, ज़िला—कन्नूर, केरल।

शिक्षा : एम.ए. तथा पीएच.डी. की उपाधियाँ कोच्चीन यूनिवर्सिटी से प्राप्त किया।

प्रकाशन : ‘जन विकल्प’ समकालीन हिन्दी उपन्यास : ‘समय और संवेदना’, ‘कविता का वर्तमान’, ‘उत्तर-औपनिवेशिक विमर्श और हिन्दी कविता’ आदि पुस्तकों का सम्पादन। देश की अनेक चर्चित पत्रिकाओं में अनेक लेख प्रकाशित।

पुरस्कार : ‘विभाजन और भारतीय कहानियाँ’ पुस्तक पर केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा पुरस्कार।

सम्प्रति : प्रोफ़ेसर, हिन्दी विभाग, श्रीशंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, कालटी, केरल।

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