Chaturbhani

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Chaturbhani
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'चतुर्भाणी’ एक विलक्षण क्लैसिक है : मूल में बोलचाल की संस्कृत और लोक-जीवन की छटाओं का रोचक और नाटकीय इज़हार है और अनुवाद में बनारसी बोली का चटपटा रस-भाव। बरसों पहले ब.व. कारन्त ने उज्जैन के कालिदास समारोह के लिए 'चतुर्भाणी’ की रंग-प्रस्तुति की थी। डॉ. मोतीचन्द्र द्वारा अनूदित और डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल द्वारा विस्तार से समझाई गई इस कृति को नए संस्करण में प्रस्तुत करते हुए हमें गहरा सन्‍तोष है। भारतीय परम्परा की दुर्व्याख्या के इस अभागे समय में यह कृति याद दिलाती है कि हमारी परम्परा में कैसी रसिकता और लोक-जीवन का उन्मुक्त रचाव रहा है जो कहीं से भी किसी संकीर्णता में बाँधा नहीं जा सकता।    

—अशोक वाजपेयी

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 451p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24 X 16.5 X 3
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Motichandra

Author: Motichandra

मोतीचन्द्र (1901-1974)

 

भारतीय संस्कृति, कला, इतिहास, भाषा, साहित्य के प्रमुख विद्वान। वाराणसी में जन्मे और ‘पद्मभूषण’ से सम्मानित डॉ. मोतीचन्द्र ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय और लन्दन विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की। आप तीन दशक तक प्रिंस वेल्स संग्रहालय, बम्बई के अध्यक्ष भी रहे।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘पश्चिम भारत के जैन लघु-चित्र’, ‘महाभारत का आर्थिक और भौगोलिक अध्ययन’, ‘काशी का इतिहास’, ‘प्राचीन भारतीय चित्रकला का अध्ययन’, ‘सार्थवाह’।

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