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Bolta Lihaph-Hard Cover

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9788126711253
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इस संग्रह में हिन्दी के श्रेष्ठ कथाकारों द्वारा लोकप्रिय मासिक 'कादम्बिनी' के ‘कथा-प्रतिमान’ स्तम्भ के लिए चयनित विश्व-साहित्य की श्रेष्ठ कहानियाँ संकलित हैं। चयनकर्ता कथाकारों ने इसमें अपनी पसन्द के कारणों का ज़िक्र करते हुए इन कहानियों की विशिष्टताओं का भी वर्णन किया है, जिससे इस संग्रह की उपयोगिता बढ़ गई है।

विभिन्न कालखंडों में रची गई ये कहानियाँ अपनी रचनात्मक विशिष्टता के लिए चर्चित रही हैं। इस संग्रह में शामिल कथाकारों की कहानी-कला का मर्म मानव-जीवन के मूल्यों को लेकर उनकी सतत दुविधा और विस्मय का भाव है जो हमारे मन में मानव जीवन की असारता या क्षुद्रता के प्रति खीज नहीं उपजाते बल्कि एक गहरी हलचल मचाए रखते हैं। यही कारण है कि ये कहानियाँ आज भी हमें उतनी टटकी और अन्तरंग महसूस होती हैं जितनी अपने समकालीन पाठकों के लिए रही होंगी। विश्व के समर्थ कहानीकारों और उनकी विशिष्ट कथा कृतियों को सुलभ कराने का हमारा यह विनम्र प्रयास निश्चय ही आपको पसन्द आएगा और प्रेरणादायक लगेगा, ऐसा हमारा विश्वास है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2007
Edition Year 2022, Ed. 2nd
Pages 163p
Price ₹595.00
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 15 X 1.5
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Vishnu Nagar

Author: Vishnu Nagar

विष्णु नागर

विष्णु नागर का जन्म 14 जून, 1950 को हुआ। उनका बचपन और छात्र जीवन शाजापुर, मध्य प्रदेश में बीता। 1971 से दिल्ली में पत्रकारिता शुरु की और तभी से दिल्ली में हैं।

‘नवभारत टाइम्स’, ‘हिन्दुस्तान’, ‘कादंबिनी’, ‘नई दुनिया’, ‘शुक्रवार’ आदि पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े रहे। भारतीय प्रेस परिषद एवं महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की कार्यकारिणी के सदस्य रहे। फिलहाल स्वतंत्र लेखन में सक्रिय हैं।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं–‘मैं फिर कहता हूँ चिड़िया’, ‘तालाब में डूबी छह लड़कियाँ’, ‘संसार बदल जाएगा’, ‘बच्चे, पिता और माँ’, ‘कुछ चीज़ें कभी खोई नहीं’, ‘हँसने की तरह रोना’, ‘घर के बाहर घर’, ‘जीवन भी कविता हो सकता है’ तथा ‘कवि ने कहा’ (कविता-संग्रह); ‘आज का दिन’, ‘आदमी की मुश्किल’, ‘कुछ दूर’, ‘ईश्वर की कहानियाँ’, ‘आख्यान’, ‘रात दिन’, ‘बच्चा और गेंद’, ‘पापा मैं ग़रीब बनूँगा’ (कहानी-संग्रह); ‘जीव-जन्तु पुराण’, ‘घोड़ा और घास’, ‘राष्ट्रीय नाक’, ‘देशसेवा का धन्धा’, ‘नई जनता आ चुकी है’, ‘भारत एक बाज़ार है’, ‘ईश्वर भी परेशान है’, ‘छोटा सा ब्रेक’ तथा ‘सदी का सबसे बड़ा ड्रामेबाज’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘आदमी स्वर्ग में’ (उपन्यास); ‘कविता के साथ-साथ’ (आलोचना); ‘असहमति में उठा एक हाथ’ (रघुवीर सहाय की जीवनी);

‘हमें देखतीं आँखें’, ‘आज और अभी’, ‘यथार्थ की माया’, ‘आदमी और उसका समाज’, ‘अपने समय के सवाल’, ‘ग़रीब की भाषा’, ‘यथार्थ के सामने’, ‘एक नास्तिक का धार्मिक रोजनामचा’ (लेख और निबन्ध-संग्रह); ‘मेरे साक्षात्कार : विष्णु नागर’ (साक्षात्कार)।

‘सहमत’ संस्था के लिए तीन संकलनों तथा रघुवीर सहाय पर एक पुस्तक का संपादन। परसाई की चुनी हुई रचनाओं का संपादन। नवसाक्षरों एवं किशोरों के लिए भी पुस्तक लेखन।

उन्हें मध्य प्रदेश सरकार के शिखर सम्मान’, हिन्दी अकादमी, दिल्ली के ‘साहित्य सम्मान’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘राही मासूम रज़ा साहित्य सम्मान’, ‘व्यंग्य श्री सम्मान’ आदि से सम्मानित किया जा चुका है।

सम्पर्क : vishnunagar1950@gmail.com

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