‘भाषा और संवेदना’ (१८६४) रामस्वरूप चतुर्वेदी के आलोचनात्मक लेखन की ध्वजवाही कृति कही जा सकती है। गत तीन दशकों में भाषिक रचना-प्रक्रिया साहित्यिक सर्जन और साहित्य-चिंतन के केन्द्र में क्रमशः आती गई है। तो इसके पीछे ‘भाषा और संवेदना’ का सघन होता संस्कार एक महत्त्वपूर्ण कारक माना जाएगा। ‘सर्जन और भाषिक संरचना’ (१६८०) ‘भाषा और संवेदना’ की
उत्तर-कृति है। दोनों मिलकर सर्जन के सूक्ष्म क्षेत्र में भाषा और संवेदना की अंतरक्रिया को बड़े दक्ष ढंग से रूपायित करती हैं। इस दृष्टि से दोनों कृतियों को वर्तमान संयुक्त संस्करण में प्रस्तुत किया जा रहा है, ताकि पुराने और नये सभी पाठकों को वैचारिक उत्तेजन और तृप्ति की मिली-जुली अनुभूति हो।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1996 |
Edition Year | 2023, Ed. 2nd |
Pages | 128p |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 1.5 |