Aadhunik Kavita Yatra

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Aadhunik Kavita Yatra
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प्रस्तुत पुस्तक ‘आधुनिक कविता-यात्रा’ में प्रमुखतः छायावाद के उदय तक का विवेचन हुआ है। छायावाद और परवर्ती काव्य के महत्त्वपूर्ण विकास-क्रमों को इस ग्रन्थ में उठाया गया है।

आधुनिक हिन्दी कविता के राष्ट्रीय संस्कार परिवर्तन या विकास-क्रम का उल्लेख भी किया गया है। एकाधिकार देशभक्ति की सामान्य मानवीय वृत्ति सचेतन होकर राष्ट्रीयता का रूप ग्रहण करती है। और यों यह स्वचेतन राष्ट्रबोध आधुनिक संवेदना का पहला महत्त्वपूर्ण कारण और प्रमाण दोनों है।

आशा है, यह पुस्तक विधार्थियों, शोधार्थियों तथा अध्यापकों का मार्गदर्शन करने में सफल सिद्ध होगी।

 

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1998
Edition Year 2022, Ed. 5th
Pages 169
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
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Ramswaroop Chaturvedi

Author: Ramswaroop Chaturvedi

रामस्वरूप चतुर्वेदी

जन्म : 1931 में कानपुर में। आरम्भिक शिक्षा पैतृक गाँव कछपुरा (आगरा) में हुई। बी.ए. क्राइस्ट चर्च, कानपुर से। एम.ए. की उपाधि इलाहाबाद विश्वविद्यालय से 1952 में। वहीं हिन्दी विभाग में अध्यापन (1954-1991)। डी.फ़िल की उपाधि 1958 में मिली, डी.लिट. की 1972 में।

आरम्भिक समीक्षापरक निबन्ध 1950 में प्रकाशित हुए। नई प्रवृत्तियों से सम्‍बद्ध पत्रिकाओं का सम्पादन किया : ‘नए पत्ते’ (1952), ‘नई कविता’ (1954), ‘क ख ग’ (1963)। शोध-त्रैमासिक ‘हिन्दी अनुशीलन’ का सम्पादन (1960-1984)।

प्रकाशन : ‘शरत् के नारी पात्र’ (1955), ‘हिन्दी साहित्य कोश’ (सहयोग में सम्‍पादित—प्रथम भाग 1958, द्वितीय भाग 1963), ‘हिन्दी नवलेखन’ (1960), ‘आगरा ज़िले की बोली’ (1961), ‘भाषा और संवेदना’ (1964), ‘अज्ञेय और आधुनिक रचना की समस्या’ (1968), ‘हिन्दी साहित्य की अधुनातन प्रवृत्तियाँ’ (1969), ‘कामायनी का पुनर्मूल्यांकन’ (1970), ‘मध्यकालीन हिन्दी काव्यभाषा’ (1974), ‘नई कविताएँ : एक साक्ष्य’ (1976), ‘कविता-यात्रा’ (1976), ‘गद्य की सत्ता’ (1977), ‘सर्जन और भाषिक संरचना’ (1980), ‘इतिहास और आलोचक-दृष्टि’ (1982), ‘हिन्दी साहित्य और संवेदना का विकास’ (1986), ‘काव्यभाषा पर तीन निबन्ध’ (1989), ‘प्रसाद-निराला-अज्ञेय’ (1989), ‘साहित्य के नए दायित्व’ (1991), ‘कविता का पक्ष’ (1994), ‘समकालीन हिन्दी साहित्य : विविध परिदृश्य’ (1995), ‘हिन्दी गद्य : विन्यास और विकास’ (1996), ‘तारसप्तक से गद्यकविता’ (1997), ‘भारत और पश्चिम : संस्कृति के अस्थिर सन्दर्भ’ (1999), ‘आचार्य रामचन्‍द्र शुक्ल—आलोचना का अर्थ : अर्थ की आलोचना’ (2001), ‘भक्ति काव्य-यात्रा’ (2003)।

संयुक्त संस्करण : ‘भाषा-संवेदना और सर्जन’ (1996), ‘आधुनिक कविता-यात्रा’ (1998)।

सन् 1996 में ‘व्यास सम्मान’ से सम्‍मानित।

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