B. R. Ambedkar : Bhartiya Waltair Evam Marx

Author: P.N. Singh
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B. R. Ambedkar : Bhartiya Waltair Evam Marx
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डॉ. अम्बेडकर में वाल्तेयर जैसी मेधा, आलोचनात्मक विवेक और साहस था

और उन्होंने भी हिन्दू समाज की मानसिक जड़ता को तोड़ने के लिए अद् भुत साहस का परिचय दिया।

अम्बेडकर ने जड़ता के विरुद्ध संघर्ष किया और उनके नाम से जुड़े राजनीतिक आन्दोलन, सत्ता-केन्द्रित होते हुए भी, प्रायः सभी सामाजिक संघर्षों से कमोबेश जुड़े हुए हैं।

मार्क्स, गांधी और बाबा साहब तीनों ही अपने-अपने ढंग से मनुष्य की अभावग्रस्त स्थितियों से मुक्ति चाहते हैं। यह मुक्ति काल्पनिक नहीं, वास्तविक है। मार्क्स आर्थिक मुक्ति पर बल देते हैं, अम्बेडकर साहब सामाजिक मुक्ति पर और गांधी सत्य और अहिंसा के माध्यम से अपनाई गई वैयक्तिक मुक्ति पर। तीनों के अलग-अलग विशेष क्षेत्र हैं। लेकिन मानव-जीवन तो एक ही है। ये तीनों अलग-अलग अधूरे हैं। इसीलिए मार्क्‍स, गांधी और अम्बेडकर के सार्थक निष्कर्षों को सावधानीपूर्वक लागू करने में ही मानव समाज का हित है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 187p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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P.N. Singh

Author: P.N. Singh

डॉ. पी.एन. सिंह

जन्म : 01 जुलाई, 1942; वासुदेवपुर, गाजीपुर, उत्तर प्रदेश।

शिक्षा : एम. ए. (अंग्रेज़ी), पीएच.डी.।

ज्ञानभारती विद्यापीठ, कोलकाता 1964-68; महाराजा वीर विक्रम शासकीय कॉलेज, अगरतला 1968-71; स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर में 1971-2002, विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग।

कृतियाँ : ‘भारतीय वाल्तेयर और मार्क्स : बी.आर. अम्बेडकर’, ‘मंडल आयोग : एक विश्लेषण’; ‘नायपॉल का भारत’, ‘गाँधी अम्बेडकर लोहिया’, ‘उच्चशिक्षा का संकट : समस्या और समाधान के बिन्दु’, ‘रामविलास शर्मा और हिन्दी जाति’, ‘अम्बेडकर प्रेमचंद और दलित समाज’, ‘हिन्दी दलित साहित्य : संवेदना और विमर्श’, ‘Society, Culture, Literary Theory and Criticism’, ‘निष्प्रभ आईना’ आदि।

सम्पादन : ‘कर्मयोगी की अविराम यात्रा’, ‘उच्च शिक्षा की चुनौतियाँ’, ‘प्रभु नारायण सिह : गाजीपुर की दृष्टि में’, ‘बुद्धिधर्मी डॉ. सरजू तिवारी’ इत्यादि पुस्तकों तथा जून 1989 से ‘समकालीन सोच' पत्रिका का सम्पादन।

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा पुरस्कृत : ‘गाँधी और उनका वर्धा’ (2012), ‘कुबेरनाथ राय : साहित्यिक-सांस्कृतिक दृष्टि’ (2012), ‘अम्बेडकर चिन्‍तन और हिन्दी दलित साहित्य’ (2009)।

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