कुसुम खेमानी अपने कथा-साहित्य के लिए मनुष्य के परिष्कार से समाज-संस्कृति का परिष्कार और समाज-संस्कृति के परिष्कार से मनुष्य के परिष्कार का विधान और वितान जिस कलात्मकता से रचती हैं, वह अद्भुत ही नहीं, विलक्षण है। विलक्षण है एक पुरुष के भीतर एक स्त्री और एक स्त्री के भीतर एक पुरुष का अपने समय की विघटन-प्रक्रिया में द्वन्द्वात्मक अन्वेषण और उसका रचा जाना। घर-परिवार से अछूता संसार कोई संसार नहीं होता, अगर होता है तो वह कुसुम खेमानी का नहीं है। उनका यह कथा-संग्रह 'अनुगूँज जि़न्दगी की’ घर-परिवार और उससे जुड़े तमाम रिश्तों का ऐसा कथा-संसार है जो अपनी ज़मीन पर अपनी जड़ों के साथ है। इसके बावजूद अपनी हज़ारों क़ि‍स्म की विसंगतियों और विडम्बनाओं से तो घिरा ही है, ऊपर से बदलते युग में न तो पूरी तरह आधुनिक हो पा रहा, न उत्तर-आधुनिक। कुसुम खेमानी इन्हीं जटिलताओं से कथा में टकराती हैं और टकराते हुए कई बार जोखिम भी उठाती हैं। निस्सन्देह, इस संग्रह की उपस्थिति एक ऐसी उपस्थिति है जिससे हिन्दी कथा-साहित्य में जीवन, प्रेम और उसके मूल्य; संघर्ष, सम्पूर्णता और उसकी चेतना जिस संवेदन-सघनता की सृष्टि रचते हैं, वह सृष्टि अपने संश्लिष्ट यथार्थ की ज़मीन पर अपने लोक और उसकी स्मृतियों की उम्मीद के साथ दर्ज होती है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2016, Ed. 2nd
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Kusum Khemani

Author: Kusum Khemani

डॉ. कुसुम खेमानी

जन्म : 19 सितम्बर, 1944

शिक्षा : एम.ए. (प्रथम श्रेणी), पीएच.डी., कलकत्ता विश्वविद्यालय।

प्रकाशन : ‘सचित्र हिन्दी बालकोश’, ‘हिन्दी-अॅंग्रेज़ी बालकोश’ (कोश); ‘हिन्दी नाटक के पाँच दशक’ (आलोचना); ‘सच कहती कहानियाँ’, ‘एक अचम्भा प्रेम’, ‘अनुगूँज ज़िन्दगी की’ (कहानी-संग्रह); ‘एक शख़्स कहानी-सा’ (जीवनी); ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ (यात्रा-वृत्तान्त); ‘कुछ रेत...कुछ सीपियाँ...विचारों की’ (ललित निबन्ध); ‘लावण्यदेवी’, ‘जड़िया बाई’ (उपन्यास)।

अनुवाद एवं सम्पादन : ‘जन-अरण्य’ (उपन्यास, शंकर), ‘चश्मा बदल जाता है’ (उपन्यास, आशापूर्णा देवी), ज्योतिर्मयी देवी के कहानी-संग्रह का अनुवाद एवं सम्पादन, ‘वागर्थ’ का सम्पादन। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का अॅंग्रेज़ी, बांग्ला, नेपाली एवं मलयालम में अनुवाद। ‘कहानियाँ सुनाती यात्राएँ’ बांग्ला, राजस्थानी एवं मलयालम में प्रकाशित। ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास का तमिल में डॉ. एन. जयश्री द्वारा एवं तेलुगू में लावण्य नारला द्वारा शोध एवं अनुवाद।

‘सच कहती कहानियाँ’ की कथाभाषा पर डॉ. सुहासिनी (तमिल), करमजीत कौर (पंजाबी), विनीता सिंह (हिन्दी) एवं अंजना कुकरैती (कन्नड़) द्वारा शोध। ‘रश्मिरथी माँ’ कहानी पर बांग्ला में टेलीफ़िल्म का निर्माण। ‘साहित्य में उच्च मूल्यों की स्थापना’ (सन्दर्भ : ‘लावण्यदेवी’ उपन्यास) विषय पर औरंगाबाद यूनिवर्सिटी द्वारा सेमिनार आयोजित।

सम्मान : ‘कुसुमांजलि साहित्य सम्मान’, ‘साहित्य भूषण सम्मान’, ‘हरियाणा गौरव सम्मान’, ‘भारत निर्माण सम्मान’, ‘रत्नादेवी गोयनका वाग्देवी पुरस्कार’, ‘पश्चिम बंग प्रान्तीय मारवाड़ी सम्मेलन पुरस्कार’, ‘कौमी एकता पुरस्कार’, ‘भारत गौरव सम्मान’, ‘समाज बन्धु पुरस्कार’ आदि।

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