Amiri Rekha-Hard Back

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न्याय और अन्याय, अभाव और रईसी, इच्छा और यथार्थ, पुरातन और नई सभ्यता जैसे अनेक विलोम प्रत्ययों के बीच वैचारिक आवागमन को ये कविताएँ अप्रत्याशित अनूठेपन एवं द्वंद्वात्मकता के साथ सम्‍भव बनाते हुए नए प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं। यहाँ भाषा, विचार, नैतिकता और स्वप्नशीलता के साथ कलाकर्म की वही अप्रतिम सर्जनात्मकता दृष्टव्य है जिसे कुमार अंबुज की कविता ने लगातार अर्जित किया है और अंबुज हर बार उसे नई ऊँचाइयों, अभिनव जगहों तक ले गए हैं। ये कविताएँ सक्रिय और सकर्मक प्रतिरोध की रचनात्मक कार्रवाई हैं। इनमें जीवन के संगीत, उत्तराधिकार, वैश्विकता, राजनीति, बाज़ार, मनुष्यता, प्रेम और अपमान की, हमारे समय और हमारी भाषा की पुनर्परिभाषाएँ हैं, उनकी आधुनिक पहचान है। साहसिक आत्मावलोकन और प्रवंचनाएँ भी हैं। इन कविताओं से अपने भीतर के टूटे-फूटे मनुष्य की मरम्मत की जा सकती है। इन्हें इनके खुरदुरेपन के लिए प्यार किया जा सकता है और इस बात के लिए भी कि इनके भीतर कितना कुछ है—शान्‍त, चपल और भविष्य से लबालब भरा हुआ। संवेदित, व्यग्र अभिव्यक्ति, अचूक दृष्टि और पक्षधरता से पुष्ट कविता कुमार अंबुज की अपनी उपलब्धि है, जिसे यहाँ समूची हिन्दी कविता के सन्‍दर्भ में कुछ अधिक शक्ति के साथ औचक, विस्मयकारी, दुर्लभ, हार्दिक और नव्यतर भंगिमाओं के साथ देखा जा सकता है। किंचित् लम्‍बे अन्‍तराल और प्रतीक्षा के बाद प्रकाशित यह संग्रह निश्चय ही नई बहसों, रुझानों, प्रस्थानों और चुनौतियों का कारण बनेगा।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2019, Ed. 2nd
Pages 123p
Price ₹295.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Kumar Ambuj

Author: Kumar Ambuj

कुमार अम्बुज

जन्म : 13 अप्रैल 1957, ग्राम मँगवार, ज़िला गुना, सम्प्रति निवास-भोपाल (मध्य प्रदेश)। वनस्पति शास्त्र में स्नातकोत्तर। कानून की डिग्री।

प्रकाशित कृतियाँ : अन्य कविता संग्रह : ‘किवाड़’ (1992), ‘क्रूरता’ (1996), ‘अनंतिम’ (1998), ‘अतिक्रमण’ (2002), ‘अमीरी रेखा’ (2011), कविताओं का चयन ‘कवि ने कहा’ (2012)। राजकमल प्रकाशन से ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ (2014)। कहानी संग्रह : ‘इच्छाएँ’ (2008)। डायरी और अन्य गद्य की किताब ‘थलचर’ (2016)। वैचारिक आलेखों की पुस्तक ‘मनुष्य का अवकाश’।

'वसुधा' कवितांक-1994 का सम्पादन। गुजरात दंगों पर केन्द्रित पुस्तक क्या हमें चुप रहना चाहिए (2002) का नियोजन एवं सम्पादन। 

हिन्दी कविता के प्रतिनिधि संकलनों एवं कुछ पाठ्यक्रमों में रचनाएँ शामिल। साहित्य की शीर्ष संस्थाओं में काव्यपाठ, बातचीत तथा व्याख्यान। कविताओं के कुछ भारतीय एवं विदेशी भाषाओं में अनुवाद, संकलनों में कविताएँ चयनित। कवि द्वारा भी कुछ चर्चित कवियों की कविताओं के अनुवाद प्रकाशित। 

इधर अपनी प्रिय फ़िल्मों पर नए पाठ के साथ लेखन।

कविता के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’ (1988), ‘माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार’ (1992), ‘वागीश्वरी पुरस्कार’ (1997), ‘श्रीकांत वर्मा सम्मान’ (1998), ‘गिरिजा कुमार माथुर सम्मान’ (1998), ‘केदार सम्मान’ (2000)। 

ईमेल : kumarambujbpl@gmail.com

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