Alokuthi

Author: Vijay Gaur
As low as ₹269.10 Regular Price ₹299.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Alokuthi
- +

आलोकुठि सुन्दरबन में होते हुए भी वहाँ के नक्शे में दर्ज नहीं है। इस महादेश के त्रासद विभाजन के वक्त तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से भारत आए अधिसंख्य दलित शरणार्थियों के जीवन में आलोकुठि इतिहास के अँधेरों से बाहर आने की छटपटाती हुई कहानी है जो सुन्दरबन के वास्तविक भूगोल में घटित होती है। बानी, रुक्मी और रूपेन हालदार जैसे चरित्र मारीच झांपी जैसे वास्तविक भूगोल में बार-बार निर्वासन की त्रासद कथा से साक्षात्कार करते हैं।

1905 से लेकर बांग्लादेश बनने तक के काल खंड को छूती हुई यह कथा बंगाल से दंडकारण्य भेज दिए गए मनुष्यों की त्रासदी से साक्षात्कार कराती है। जड़ों को जमीन में जगह बनाने का स्वप्न गंगा-पद्मा की लहरों के साथ उपन्यास में हिलोरें लेता रहता है। लेकिन सुन्दरबन से दूसरे निर्वासन के लिए अभिशप्त शरणार्थियों की यह कथा उन मनुष्यों की त्रासदी को उजागर करती है जिसके बारे में इतिहास ने सायास चुप्पी साध रखी है।

हिन्दी में इस तरह के अछूते विषय पर यह सम्भवत: पहला उपन्यास है जिसको लिखने के लिए लेखक ने इतिहास के प्राय: विस्मृत कर दिए गए पक्ष को चुना। गंगा और पद्मा का जीवन्त भूगोल मनुष्य के जीवट और संघर्ष से भरी इस कथा को प्रामाणिकता प्रदान करता है।

— नवीन कुमार नैथानी

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 232p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Alokuthi
Your Rating
Vijay Gaur

Author: Vijay Gaur

विजय गौड़

विजय गौड़ का जन्म 16 मई, 1968  को देहरादून, उत्तराखंड में हुआ।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘सबसे ठीक नदी का रास्ता’, ‘मरम्मत से काम बनता नहीं’, ‘चयनित कविताएँ’ (कविता-संग्रह); ‘फाँस’, ‘भेटकी’, ‘आलोकुठि’ (उपन्यास); ‘खिलंदड ठाट’, ‘पोंचू’ (कहानी-संग्रह)।

सम्प्रति : रक्षा संस्थान के उत्पादन विभाग में कार्यरत।

ई-मेल : vggaurvijay@gmail.com

Read More
Books by this Author
Back to Top