Aadivasi : Shaurya Evam Vidroh

Author: Ramanika Gupta
Edition: 2022, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
As low as ₹225.00 Regular Price ₹250.00
10% Off
In stock
SKU
Aadivasi : Shaurya Evam Vidroh
- +
Share:

सर्वप्रथम हमें पूर्वोत्तर के इतिहास में जाना ज़रूरी है, जिससे यह पता चलता है कि वे अंग्रेज़ों, ज़ुल्मी राजाओं या किसी भी अन्याय के ख़िलाफ़ लड़े।

इस पुस्तक में हमने अलग-अलग भाषा व राज्यों के वीर नायकों व नायिकाओं की कथाओं के अतिरिक्त पूर्वोत्तर के भिन्न राज्यों में हुए विद्रोहों, प्रतिरोधात्मक आन्दोलनों पर शोधपरक गाथाएँ व सामग्री प्रस्तुत की है। ये सभी गाथाएँ—लिजिन्द्रियाँ, लोककथाएँ या लोकगीत व टिप्पणियाँ पूर्वोत्तर के ही लेखकों द्वारा लिखी गई हैं। हमने इनका चयन कर हिन्दी में अनूदित कर प्रस्तुत किया है। इनके चयन और सम्पादन में काफ़ी समय लगा। चूँकि अनूदित सामग्री की भाषा को परिष्कृत भी करना पड़ा। हमने हिन्दी में कुछ गाथाएँ पूर्वोत्तर में उपलब्ध भिन्न ग्रन्थों व दस्तावेज़ों में दर्ज टिप्पणियों के आधार पर तैयार करके भी प्रस्तुत की गई हैं।

एक ही नायक पर भिन्न-भिन्न लेखकों ने अपने-अपने क्षेत्र में उपलब्ध सामग्री (लोकगीत, किंवदंतियों, लोककथाएँ, ऐतिहासिक दस्तावेज आदि) से लेकर अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रस्तुत की है। हमने सभी को सम्मानित करने का प्रयास किया है, ताकि पूर्वोत्तर में घटित इस इतिहास को गहराई तक समझा और जाना जा सके और शेष भारत उनसे अपना दर्द का रिश्ता जोड़ कर संवाद क़ायम करे।

—‘सम्पादकीय’ से

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Aadivasi : Shaurya Evam Vidroh
Your Rating
Ramanika Gupta

Author: Ramanika Gupta

रमणिका गुप्ता

जन्म : 22 अप्रैल, 1930; सुनाम (पंजाब)।

शिक्षा : एम.ए., बी.एड.।

रमणिका गुप्ता बिहार/झारखंड की विधायक एवं विधान परिषद् की सदस्य रहीं। कई ग़ैर-सरकारी एवं स्वयंसेवी संस्थाओं से सम्बद्ध तथा सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनैतिक कार्यक्रमों में सहभागिता। आदिवासी, दलित, महिलाओं व वंचितों के लिए आजीवन कार्यरत। कई देशों की यात्राएँ। विभिन्न सम्मानों एवं पुरस्कारों से सम्मानित जिनमें ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’, ‘आजीवन आदिवासी बंधु पुरस्कार’ भी शामिल हैं।

प्रकाशित कृतियाँ : अब तक 16 कविता-संग्रह, दो उपन्यास, दो कहानी-संग्रह, दो कहानी-संग्रह सम्पादित, एक यात्रा-संस्मरण और दो आत्मकथा—‘आपहुदरी’ व ‘हादसे’। राष्ट्रीय आदिवासी दलित व नारी-विमर्श पर महत्त्पूर्ण पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके द्वारा सम्पादित दलित, स्त्री एवं आदिवासी विषयक पुस्तकें बहुचर्चित रही हैं। ‘निज घरे परदेसी’, ‘साम्प्रदायिकता के बदलते चेहरे’, ‘आदिवासी स्वर और नई शताब्दी’, ‘आदिवासी : विकास से विस्थापन’, ‘आदिवासी साहित्य यात्रा’, ‘आदिवासी शौर्य एवं विद्रोह (पूर्वोत्तर)’, ‘आदिवासी शौर्य एवं विद्रोह (झारखंड)’, ‘आदिवसी सृजन, मिथक एवं अन्य लोककथाएँ (झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात और अंडमान-निकोबार)’, ‘आदिवासी लेखन एक उभरती चेतना’, ‘आदिवासी अस्मिता के संकट’, ‘आदिवासी सहित्य और समाज’ एवं ‘विमुक्त-घुमन्तू आदिवासियों का मुक्ति-संघर्ष’ आदिवासी-विमर्श पर इनकी उल्लेखनीय लिखित, संकलित एवं सम्पादित पुस्तकें हैं। स्त्री-विमर्श पर भी इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हैं।

वे आजीवन ‘रमणिका फ़ाउंडेशन’ की अध्यक्ष रहीं। उन्‍होंने सन् 1985 से ‘युद्धरत आम आदमी’ (मासिक हिन्दी पत्रिका) का सम्पादन किया।

निधन : 26 मार्च, 2019

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top