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Thithak Gai Boondein-Paper Back

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9789349180147
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अरविन्द कुमार सिंह की कविताओं से गुज़रते हुए हमें एक दुर्लभ संयोग दिखाई पड़ता है। एक तरफ़ उनकी भाषा में दिनकर का ओज है और दूसरी तरफ़ नागार्जुन के यहाँ दिखाई पड़ने वाली रोज़मर्रा जीवन की हलचलें। ये हजारीबाग की पहाड़ियों का सौन्दर्य है, हरिद्वार का कुम्भ स्नान है, गाँव के मेले की बिसरी हुई यादें हैं, नदियाँ हैं, शाम हैं। प्रकृति इन कविताओं में बार-बार आती है—इसके बहुत सारे रंग उनकी कविताओं में दिखाई पड़ते हैं। दूसरी तरफ़ मज़लूमों, किसानों, मज़दूरों की पीड़ा भी उनकी कविताओं में मुखर हुई है। ये कविताएँ हमारे समय, समाज, धरती और हमारे आसपास के लोगों की आकांक्षाओं, पीड़ाओं, भावनाओं का आईना बनती हैं। इनमें हम अपने समय की धड़कन को सुन सकते हैं। इनमें सौन्दर्य है, प्रकृति है, धूमिल गाँव हैं, नदियाँ हैं और उनके बीच मनुष्य का श्रम भी है और उसका समूचा सौन्दर्य भी है—जो इस धरती को सुन्दर बनाता है।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2025
Edition Year 2025, Ed. 1st
Pages 150p
Price ₹250.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Arvind Kumar Singh

Author: Arvind Kumar Singh

अरविन्द कुमार सिंह

सुपरिचित रचनाकार अरविन्द कुमार सिंह की प्रमुख पुस्तकें हैं—‘नदी’ (कविता-संग्रह); ‘दिनकर के आसपास’ (संस्मरण); ‘ज्योतिर्धर कवि दिनकर’, ‘शेष निःशेष’, ‘संसद में दिनकर’, ‘कविता की पुकार’, ‘दिनकर के पत्र’ (सम्पादन)।

उन्हें थावे विद्यापीठ द्वारा मानद ‘विद्या वाचस्पति’ की उपाधि के अलावा बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा ‘हिन्दी रत्न सम्मान’, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा ‘नवोदित साहित्यकार पुरस्कार’,

सन् 1991 में तत्कालीन माननीय उपराष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा द्वारा ‘राष्ट्रकवि दिनकर प्रतिभा सम्मान’, विश्व हिन्दी परिषद् एवं केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा ‘राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ हिन्दी रत्न सम्मान’, सत्यम् शिवम् सुन्दरम् ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट की ओर से ‘बिहार गौरव सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

सम्प्रति : प्रबन्ध न्यासी व सचिव, दिनकर संस्कृति संगम न्यास। 

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