Teen Talaq Ki Mimansa

Author: Anoop Baranwal
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Teen Talaq Ki Mimansa
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तलाक़ एवं इससे जुड़े विषय—हलाला, बहुविवाह की पवित्र क़ुरान और हदीस के अन्तर्गत वास्तविक स्थिति क्या है? वैश्विक पटल पर, ख़ास तौर से मुस्लिम देशों में तलाक़ से सम्बन्धित क़ानूनों की क्या स्थिति है? भारत में तलाक़ की व्यवस्था के बने रहने के सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव क्या हैं? महिलाओं के सम्पत्ति में अधिकार से वंचित बने रहने का तलाक़ से क्या सम्बन्ध हैं ? तलाक़ के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के विचारों की क्या प्रासंगिकता है? धार्मिक आस्था एवं व्यक्तिगत क़ानून के मूल अधिकार के होने या न होने का तलाक़ पर क्या प्रभाव है? कांग्रेस सरकार द्वारा तलाक़ोपरान्त भरण-पोषण पर और भाजपा सरकार द्वारा तीन तलाक़ पर लाए गए कानून के क्या प्रभाव हैं? तलाक़ की समस्या का भारतीय परिपेक्ष्य में समाधान क्या है? तलाक़ से जुड़े ऐसे सवालों के सभी पहलुओं पर विश्लेषण करने का प्रयास इस पुस्तक के माध्यम से किया गया है।

ब्रिटिश हुकूमत द्वारा शरीयत अनुप्रयोग क़ानून, 1937 के माध्यम से जिस धार्मिक दुराग्रह का ज़हर घोलने का प्रयास किया गया था, उससे मुक्ति दिलाने में हमारे नीति-निर्माता आज़ादी के इतने वषों बाद भी असफ़ल रहे हैं। जबकि संविधान-निर्माताओं द्वारा इससे मुक्ति का रास्ता बताया गया है। वह है धर्मनिरपेक्षता के आईने से एक यूनिफ़ॉर्म सिविल संहिता बनाकर लागू करने का रास्ता। हम सब इस रास्ते की ओर आगे तो बढे, किन्तु महज़ पाँच वर्ष बाद ही हिन्दू क़ानून में सुधार पर आकर अटल गए। मुस्लिम, ईसाई सहित सभी धर्मों के व्यक्तिगत क़ानूनो में सुधार कर एक समग्र व सर्वमान्य सिविल संहिता बनाने की इच्छाशक्ति नहीं जुटा सके, जिसका ख़ामियाज़ा इस देश को भुगतते रहना होता है। भारत में तीन तलाक़ की समस्या का मूल इसी में छिपा है, जिसका विश्लेषणात्मक अध्ययन करना भी इस पुस्तक का विषय है ।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Anoop Baranwal

Author: Anoop Baranwal

अनूप बरनवाल

अनूप बरनवाल का जन्म 15 जुलाई, 1973 को ज़ि‍ला आज़मगढ़ (यू.पी.) के ठेकमा बाज़ार में हुआ। आपने तिलकधारी महाविद्लायल, जौनपुर से बी.एस-सी. व एल-एल.बी. की पढ़ाई की और एल-एल.बी. में विश्वविद्यालय स्तर पर सर्वोच्च स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल प्राप्त किया। आप वर्ष 1998 से इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत कर रहे हैं।

वकालत के साथ आप एकेडमिक रुचि भी रखते हैं। आपने विधिक पत्रिका 'वायस ऑफ़ लॉ एंड जस्टिस' प्रारम्भ किया और इसके सम्पादन का दायित्व निभा रहे हैं। आप इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा निकाले जा रहे ‘इंडियन लॉ रिपोर्टर’ के सम्पादन समूह के सदस्य हैं। आपके द्वारा संवैधानिक महत्त्व की कई जनहित याचिकाएँ दाख़िल की गई हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 'भारत के निर्वाचन आयोग' की चयन प्रक्रिया में सुधर हेतु दाख़िल याचिका प्रमुख है। आपके द्वारा समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए 'मिशन अनुच्छेद 44 : एक राष्ट्र, एक सिविल क़ानून' चलाया जा रहा है।

प्रकाशित कृतियाँ : 'प्रिंसिपुल एंड प्रैक्टिस ऑफ़ रिट जुरिस्डिकशन' (2004); 'निर्माण-पुरुष डॉ. अम्बेडकर की संविधान यात्रा' (2017); ‘भारतीय सिविल संहिता का सिद्धान्त’ (2017) एवं ‘तीन तलाक़ की मीमांसा’ (2018)।

 

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