दर्शन और चिंतन के क्षेत्र में भारत ने, विशेषकर सनातन धर्म ने, विश्व को एक विशद शब्दावली दी है। अमूर्त धारणाओं के मनन के लिए मूर्त प्रतीक और शब्द दिए है। उस दार्शनिक शब्दावली और बिंब विधान की बराबरी संसार की कोई अन्य संस्कृति शायद ही कर पाए...देवीदेवताओं के अनेक नाम अमूर्त धारणाओं के प्रतीक हैं। कई बार इन नामों में छिपा होता है एक पूरा दार्शनिक, सांस्कृतिक और सामाजिक, राजनीतिक इतिहास। कई बार इन में आयुर्वेद, ज्योतिष, गणित, व्याकरण और पिंगल शास्त्रों के प्रतिबिंब मिलते हैं। इन में होती हैं जन साधारण की आकांक्षाएँ, भावनाएँ, मान्यताएँ, विश्वज्ञान की उन की समझ...सूर्य, कुंती, कर्ण और व्यास के नामों में कोई ज्यामितीय संदर्भ है या धूपघड़ी का प्रतीक? अनजुती भूमि की प्रतीक अहल्या का उद्धार और जुती भूमि की प्रतीक सीता का स्वयंवर एक ही सिक्के के दो पहलू हैं क्या?
पौराणिक नामों के आग्रहहीन भाषाशास्त्रीय अध्ययन से हम बहुत कुछ जान सकते हैं।
हमारे सांस्कृतिक इतिहास के अध्ययन में नामों के भाषाशास्त्रीय अध्ययन को नणण्य स्थान मिलता रहा है। इस का एक कारण है ऐसे नामों के आधुनिक संकलनों का अभाव। शब्देश्वरी के द्वारा अरविंद कुमार दंपती ने इस कमी को दूर करने का प्रयास किया है।
एक ओर यह संकलन साधारण विश्वासी जन, पंडितों और पुजारियों के लिए रोचक होगा, तो दूसरी ओर सांस्कृतिक शोध में लगे विद्वान भी इसे उपयोगी पाएँगे...

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 260p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Shabdeshwari
Your Rating
Arvind Kumar

Author: Arvind Kumar

अरविन्द कुमार

जन्म : मेरठ, 1930

शिक्षा : एम.ए., (अंग्रेज़ी)।

1945 से हिन्दी और अंग्रेज़ी पत्रकारिता से जुड़े रहे। आरम्भ में दिल्ली प्रेस की ‘सरिता’, ‘कैरेवान’, ‘मुक्ता’ आदि पत्रिकाओं में कार्य। 1963-78 तक मुम्बई से ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ की पाक्षिक पत्रिका ‘माधुरी’ का समारम्भ और सम्पादन किया। 1978 में ‘समांतर कोश’ पर काम करने के लिए वहाँ से स्वेच्छया मुक्त होकर दिल्ली चले आए। 1980 से 1985 तक रीडर्स डाइजेस्ट के हिन्दी संस्करण ‘सर्वोत्तम’ का समारम्भ और सम्पादन। एक बार फिर समांतर कोश पर काम। ‘समांतर कोश’ का प्रकाशन 1996 में हुआ। उसके बाद से द्विभाषी हिन्दी-भाषी डाटाबेस बनाया जिसमें उनकी पत्नी कुसुम कुमार उनकी सक्रिय सहयोगी रहीं। अनेक फुटकर कविताएँ, लेख, कहानियाँ, चित्र, नाटक, फ़िल्म समीक्षाएँ आदि प्रकाशित।

निधन : 27 अप्रैल, 2021

Read More
Books by this Author
Back to Top