Seeta Se Shuru...

Fiction : Stories
Author: Navnita Devsen
Translator: Sushil Gupta
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Seeta Se Shuru...

‘सीता से शुरू...’ महज़ कथा–प्रवाह ही नहीं है। इस विविध कथा–चित्र का एक छोर पौराणिक काल से बँधा है; दूसरा, मातृसत्तात्मक परिवार से और अन्त में, वर्तमान समय के आधुनिक मूल्यबोध से जुड़ा है। कुल मिलाकर, औरत की ज़िन्दगी के आदि–मध्य–अन्त के पर्वों की अन्तर्कथा!

नवनीता देव सेन की हर कृति का प्रसाद गुण सरस–गम्भीर स्थापन पाठकों को मुग्ध करता है। प्रस्तुत कथा–संग्रह औरत के अन्तर्मन और जीवन का बयान है। ये औरताना कहानियाँ नहीं हैं, औरत की कहानियाँ हैं। लेखिका ने अखंड काल–क्रम में साँस लेती हुई औरत के अनन्त दु:ख, शाश्वत व्यक्तित्व और समकालीन जटिलताओं की राह पर उसकी अभियान–कथा को क़लमबन्द किया है। लेखिका के शब्दों में—‘सीता से शुरू की गई यात्रा’, वर्तमान युग में, आधुनिक औरत को अपने ही कटघरे में ला खड़ा करती है। इस कथा का पहला पर्व है—पौराणिकी और तीसरा पर्व है आधुनिकी। लेकिन मध्यवर्ती पर्व मातृयार्की के इर्द–गिर्द बुना गया है—यानी, मातृयार्की माँ से याराना। अपनी माँ के बारे में हँसी–ख़ुशी से झलमल ऐसे उपाख्यान विरल हैं। कल्पना और वास्तविकता के मणिकांचन संयोग से ये कहानियाँ शाश्वत सत्य के अमृत–मंत्र की साक्षी बन गई हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2001
Edition Year 2001, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Sushil Gupta
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Editorial Review

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Author: Navnita Devsen

नवनीता देव सेन

जन्म : 13 जनवरी, 1938

दुनिया में आते ही कविगुरु रवीन्द्रनाथ ने नाम दिया—नवनीता! घर में साहित्यिक परिवेश। बचपन में ही लेखन का श्रीगणेश हो गया।

शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी.।

बारह वर्ष की उम्र में पिता नरेन देव और माँ राधारानी देवी के साथ यूरोप-यात्रा।

पहला काव्य-संग्रह ‘प्रथम प्रत्यय’। पहला उपन्यास ‘आमि अनुपम’। साहित्य की हर विधा में लेखन। आपकी कहानी, उपन्यास, भ्रमण-वृत्तान्त, निबन्ध, कविता के साथ-साथ रम्य-साहित्य और विनोद कथाओं ने बांग्ला साहित्य जगत में अपनी अलग जगह बनाई है। ‘करुणा तोमार कौन पथ दिए’, ‘गल्प-गुजब’, ‘नटी नवनीता’, ‘प्रवासे दैवेर वशे’, ‘हे पूर्ण तव चरणेर काछे’, ‘सीता थेके शुरू’ आदि उल्लेखनीय पुस्तकें हैं।

सम्मान : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ के अलावा भारतीय भाषा परिषद का पुरस्कार, ‘बंगीय साहित्य परिषद पुरस्कार’, ‘पद्मश्री’,‘महादेवी वर्मा पुरस्कार’आदि से सम्मानित।

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