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Sawdhan ! Neeche Aag Hai-Paper Back

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9788183618922
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चन्दनपुर के नीचे आग धधक रही है। लोगों में आग है, उनकी नसों के बिलकुल क़रीब...आग ही आग...लाल-सुर्ख़...तपती हुई...। यह आग हो सकता है कि कभी किसी बड़े परिवर्तन का सूत्रपात करे लेकिन अभी तो वह सिर्फ़ लोगों को जला रही है। तिल-तिल करके जल रहे हैं वे, अपनी छोटी-छोटी अपूर्ण इच्छाओं के साथ। ज़िन्दगी बीभत्सता की हद तक सड़ी हुई...नर्क...। दलालों, सूदख़ोरों और गुंडों के बीच पिसते, कोयले की गर्द फाँकते, चन्दनपुर के खदान मज़दूर यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनके बजाय उनकी औरतों को ही पहले काम क्यों दिया जाता है।

“सच तो यह है कि जिनके हाथ में क़ानून और पावर है, सब चोर हैं। मेहनत, ईमानदारी की कोई क़दर नहीं। जो लूट रहा है, लूट रहा है, जो बिला रहा है, बिला रहा है...यह समूचा इलाक़ा ही बैठ जाएगा एक दिन जल-जलकर—मेवा के इस कथन में आक्रोश के साथ लाचारी है, खीज है।

संजीव की कहानियों में शुगरकोटेड यथार्थ नहीं होता और न ही मनोरंजन। समाज के जिस वर्ग की ज़िन्दगी के बारे में वे लिखते हैं, उसकी पीड़ाओं की तह तक उतर जाते हैं।

अब तक दर्जनों चर्चित कहानियों के लेखक संजीव के इस उपन्यास में विषय की गहराई, उसकी समझ और पकड़, शैली और शिल्प के अतिरिक्त जो प्रतिबद्धता है, हर पाठक को उसका क़ायल होना पड़ेगा।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 1986
Edition Year 2018, Ed. 3rd
Pages 256p
Price ₹250.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2
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Sanjeev

Author: Sanjeev

संजीव

मूर्धन्य कथाकार संजीव का जन्म 6 जुलाई, 1947 को सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। 38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्यरत रहे। सात वर्षों तक ‘हंस’ समेत कई पत्रिकाओं का सम्पादन और स्तम्भ-लेखन किया। लगभग दो वर्षों तक महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा और अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि लेखक रहे।

संजीव का अनुभव-संसार विविधताओं से भरा हुआ है। साक्षी हैं उनकी प्राय: दो सौ कहानियाँ और ‘अहेर’, ‘सर्कस’, ‘सावधान! नीचे आग है’, ‘धार’, ‘पाँव तले की दूब’, ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’, ‘सूत्रधार’, ‘आकाश चम्पा’, ‘रह गईं दिशाएँ इसी पार’, ‘फाँस’, ‘रानी की सराय’, ‘मुझे पहचानो’ आदि उपन्यास। नवीनतम कृतियाँ हैं—महात्मा जोतिबा फुले पर केन्द्रित उपन्यास ‘ज्योति कलश’, छत्रपति शाहू जी पर केन्द्रित उपन्यास ‘प्रत्यंचा’, पुरबी के अनन्य गायक महेन्द्र मिश्र पर केन्द्रित उपन्यास ‘पुरबी बयार’ और ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’। कुछ कृतियों पर फिल्में बनी हैं, कुछ की उन्होंने पटकथाएँ लिखी हैं।

उन्हें ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान’, ‘पहल कथा सम्मान’, ‘सुधा कथा सम्मान’, ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ समेत अनेक सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

सम्पर्क : writersanjiv@gmail.com

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