Prarthana

Author: Sanjeev
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Prarthana
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नई-नई कथा-भूमियों में पहुँचकर, मनुष्य के जीवन और जिजीविषा की अदेखी अजानी सचाइयों को उद्घाटित करने में संजीव का सानी नहीं है। भारतीय समाज के जटिल से जटिलतर होते गए जन-जीवन के यथार्थ को जिस सूक्ष्मता से उन्होंने अपनी कहानियों में उकेरा है, वह न केवल उनके अनुभव-संसार की व्यापकता का प्रमाण है, बल्कि उस उत्तरदायित्व का भी जो एक लेखक के रूप में अपने लिए उन्होंने ख़ुद चुना है।

यह संवेदना, यह दायित्व-भावना ही उनकी कहानियों का और उनके सम्पूर्ण लेखन का आधार है। इसीलिए उनकी कहानियाँ जादू और यथार्थ से मुक्ति जैसे जुमलों से बेअसर रहते हुए पाठक को उस संसार में ले जाकर खड़ा कर देती हैं जो जितना विस्मित करता है, उतना ही बेचैन। उस संसार से रू-ब-रू होना एक स्तर पर तकलीफ़देह भी है, इसलिए कि उसमें हम ख़ुद को बारहा अपने ही सामने खड़ा पाते हैं, हर झूठ और हर आवरण से परे। लेकिन ठीक यहीं ये कहानियाँ हमें आश्वस्त भी करती हैं, क्योंकि सच से गुज़रते हुए हम आदमियत के उस सिरे को और ज़ोर से पकड़ने लगते हैं जो हम से लगातार छूटता जा रहा है।

प्रार्थना में संकलित कहानियाँ न केवल संजीव के कहानी-संसार के उल्लेखनीय शिखर हैं, बल्कि हिन्दी कहानी के लिए भी उपलब्धि हैं। 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 13.5 X 1.5
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Sanjeev

Author: Sanjeev

संजीव

मूर्धन्य कथाकार संजीव का जन्म 6 जुलाई, 1947 को सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। 38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला में कार्यरत रहे। सात वर्षों तक ‘हंस’ समेत कई पत्रिकाओं का सम्पादन और स्तम्भ-लेखन किया। लगभग दो वर्षों तक महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय, वर्धा और अन्य विश्वविद्यालयों में अतिथि लेखक रहे।

संजीव का अनुभव-संसार विविधताओं से भरा हुआ है। साक्षी हैं उनकी प्राय: दो सौ कहानियाँ और ‘अहेर’, ‘सर्कस’, ‘सावधान! नीचे आग है’, ‘धार’, ‘पाँव तले की दूब’, ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’, ‘सूत्रधार’, ‘आकाश चम्पा’, ‘रह गईं दिशाएँ इसी पार’, ‘फाँस’, ‘रानी की सराय’, ‘मुझे पहचानो’ आदि उपन्यास। नवीनतम कृतियाँ हैं छत्रपति शाहू जी पर केन्द्रित उपन्यास ‘प्रत्यंचा’, पुरबी के अनन्य गायक महेन्द्र मिश्र पर केन्द्रित उपन्यास ‘पुरबी बयार’ और ‘प्रतिनिधि कहानियाँ’। कुछ कृतियों पर फिल्में बनी हैं, कुछ की उन्होंने पटकथाएँ लिखी हैं।

उन्हें ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान’, ‘पहल कथा सम्मान’, ‘सुधा कथा सम्मान’, ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ समेत अनेक सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

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