जानकारी शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। आज की व्यवस्था में जानकारी एकत्र करने और बाँटने के काम पर कुछ सीमित मीडिया समूहों और अख़बारों का एकाधिकार-सा है। छोटे अख़बार इनके मुक़ाबले टिक नहीं पाते क्योंकि वे देश-भर में संवाददाताओं का वह जाल नहीं फैला सकते जो ऐसी प्रतिस्पर्धा के लिए ज़रूरी है। संवाद समितियाँ-संवाद एजेंसियाँ कम खर्च में व्यापक क्षेत्र से विश्वसनीय समाचार एकत्र करने के महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं। उनके प्रभावी उपयोग से छोटे अख़बार बड़े और व्यापक क्षेत्र को कवर कर सकते हैं। सच कहा जाए तो लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सूचना तंत्र के विकेन्द्रीकरण में संवाद समितियों की महती भूमिका हो सकती है। पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए यह रोज़गार का महत्त्वपूर्ण माध्यम भी हो सकती हैं। संवाद समितियों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी सरल ढंग से देनेवाली यह पुस्तक निश्चय ही पत्रकारिता से जुड़े सभी लोगों के काम आएगी, विशेषकर युवा पत्रकार वर्ग के।

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Language Hindi
Format Hard Back
Isbn 10 8171198430
Publication Year 1991
Edition Year 2003, Ed. 2nd
Pages 92p
Price ₹50.00
Translator Not Selected
Editor Ramsharan Joshi
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21.5 X 13.5 X 0.5
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You're reviewing:Samwad Samiti Ki Patrakarita-Text Book
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Author: Kashinath Govindrao Joglekar

काशीनाथ गोविन्दराव जोगलेकर


काशीनाथ गोविन्दराव जोगलेकर पत्रकारिता एवं जनसंचार माध्यमों की विविध विधाओं के सिद्धहस्त विशेषज्ञ हैं। वे गत पचपन वर्षों से दैनिक पत्रों, आकाशवाणी, केन्द्रीय पत्र-सूचना कार्यालय तथा हिन्दी समाचार समिति यूनिवार्ता में अपना योगदान देते रहे हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के प्रकाशन प्रभाग ने उनकी दो पुस्तकें ‘एक दिन का मेहमान’ और ‘शिवाजी’ प्रकाशित की हैं। उनकी पुस्तक ‘पत्र, पत्रकार और सरकार’ को 1988 में प्रथम ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ दिया गया। 1987 में उत्तर प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें हिन्दी पत्रकारिता की सेवा के लिए ‘अम्बिका प्रसाद वाजपेयी पदक’ से सम्मानित किया।

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