जानकारी शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत है। आज की व्यवस्था में जानकारी एकत्र करने और बाँटने के काम पर कुछ सीमित मीडिया समूहों और अख़बारों का एकाधिकार-सा है। छोटे अख़बार इनके मुक़ाबले टिक नहीं पाते क्योंकि वे देश-भर में संवाददाताओं का वह जाल नहीं फैला सकते जो ऐसी प्रतिस्पर्धा के लिए ज़रूरी है। संवाद समितियाँ-संवाद एजेंसियाँ कम खर्च में व्यापक क्षेत्र से विश्वसनीय समाचार एकत्र करने के महत्त्वपूर्ण माध्यम हैं। उनके प्रभावी उपयोग से छोटे अख़बार बड़े और व्यापक क्षेत्र को कवर कर सकते हैं। सच कहा जाए तो लोकतांत्रिक व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए सूचना तंत्र के विकेन्द्रीकरण में संवाद समितियों की महती भूमिका हो सकती है। पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए यह रोज़गार का महत्त्वपूर्ण माध्यम भी हो सकती हैं। संवाद समितियों के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी सरल ढंग से देनेवाली यह पुस्तक निश्चय ही पत्रकारिता से जुड़े सभी लोगों के काम आएगी, विशेषकर युवा पत्रकार वर्ग के।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 1991 |
Edition Year | 2003, Ed. 2nd |
Pages | 92p |
Translator | Not Selected |
Editor | Ramsharan Joshi |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14 X 1.5 |