जन्म : 4 दिसम्बर, 1926 को अम्बाला शहर (पंजाब) में।
समाजवादी विचारक और नेता के रूप में प्रतिष्ठित सुरेन्द्र मोहन युवावस्था से ही समाजवादी आन्दोलन से जुड़ गए थे। दो वर्ष तक काशी विद्यापीठ में समाजशास्त्र के प्राध्यापक रहने के बाद उन्होंने समाजवादी आन्दोलन के पूर्णकालिक कार्यकर्ता की भूमिका अपना ली और दशकों तक उसी रूप में सक्रिय रहे।
उनकी भूमिका केवल समाजवादी आन्दोलन तक ही सीमित नहीं रही। भारत के मज़दूर और किसान आन्दोलन से लेकर विभिन्न जनान्दोलनों और सर्वोदय आन्दोलन तक उनकी सक्रियता का विस्तार रहा। पीयूसीएल, जनान्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय (एनएपीएम), आज़ादी बचाओ आन्दोलन, देश बचाओ आन्दोलन, लोक राजनीतिक मंच जैसे संगठनों के गठन और संचालन में उनकी महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी रही। वे एक ऐसे विरल राजनेता थे जिन्होंने समता, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र, विकेन्द्रीकरण, सामाजिक न्याय, नागरिक अधिकार, मानवाधिकार, स्त्री अधिकार आदि के लिए न केवल निरन्तर संघर्ष किया, बल्कि एक महत्त्वपूर्ण विचारक के रूप में उन विषयों, मुद्दों, समस्याओं और चुनौतियों पर गम्भीर लेखन भी किया।